23/11/2016 की सुनवाई माननीय सी जे साहब ने ठीक 2 बजे शुरू कर दिया टेट पक्ष सुनने के बाद अब अकादमिक पक्ष को अपनी बात रखनी थी जिसमे मुख्यता आरंभ से श्री H N Singh साहब ने बात रखना शुरू किया बहस के मुख्य बिंदु इस प्रकार है।
1. 12वां संसोधन बताया गया टेट में घपला हाई पावर कमिटी रिपोर्ट और कोर्ट के फैसले के बाद पैदाहुए 15वां संशोधन को बताया गया फिर 16वें संशोधन को बताया गया। जज साहब ने पूछा 12वां संसोधन अस्तित्व में नहीं है 15वां डबल जज बेंच 20/11/13 के अनुसार निरस्त है जो सुप्रीम कोर्ट में लंबित है 16वां नॉन workable है तो ऐसे स्थिति में वकील साहब का क्या मानना है । स्पस्ट तौर पर ये माना गया कि 12वें से पहले जो स्थिति थी उसका अनुसरण किया जाना चाहिए। किन्तु जज साहब ने ये कहा 12वें से पहले टेट नहीं था और 12वें के बाद सभी अमेण्डमेंडस में टेट अस्तित्व में आया ऐसे में क्या 12वें से पहले वाले अपॉइंटमेंट क्राइटेरिया पर जाना उचित है बहरहाल ये अभी एक पहेली है कि in view of TET introduced can we adopt selection criteria prior to 12th amendment .
2. बात RTE act, 2009 सेक्शन 23, सेक्शन 12 NCTE act 1993, NCTE की पावर्स पर डिटेल आर्गुमेंट हुई जिस , NCTE की guidlines दिनाक 23/08 और 11/2/11 पर बात रखी लेकिन महत्वपूर्ण बात आई RTI में ncte द्वारा दिए गए जवाब की जिसमे "सरकार वेटेज देने के लिए बाध्य नहीं है" उत्तर दिया गया था जिस पर जज साहब के पूछने पर ncte अधिवक्ता ने कहा ऐसा नहीं है, उसने फुल बेंच आर्डर 31/05/2013 शिव कुमार शर्मा का हवाला देते हुए कहा कि सरकार को वेटेज देना चाहिए बाध्यता है जुजे साहब चौंक गए ये कैसे आप rti में कुछ कहते है यहाँ कुछ , पूछ ये किसकी राय है ncte अधिवक्ता ने कहा ये मेरी राय है जज साहब ने कहा यहाँ आपकी राय नहीं चलेगी अपने NCTE से पूंछे ये भी पूंछा की अगर ये RTI जवाब गलत है तो कहीं आपने इसे खंडित किया किसी काउंटर में। ncte अधिवक्ता निरुत्तर थे और जवाब के लिए 7 दिन का समय मांगने लगे। जुजे साहब ने मना कर दिया और कहा कि कोर्ट क्लोजिंग से पहले चाहे fax चाहे whatsaap या मेल से मुझे आप जानकारी दें अन्यथा NCTE के लिए कुछ भी कड़ा आदेश पारित हो सकता है। टेट सुपपोर्टर मायूस हो गए और तभी उन्होंने NCTE द्वारा फाइल किये एक केस में काउंटर की कॉपी दिखाई जिसमे राकेश तोमर द्वारा दिए गए rti के जवाब को खंडित किया गया था। TET साथी अचानक उतसाहित हो गए जैसे उन्हें संजीवनी मिली तभी अकादेमिक के अधिवक्ताओं की तरफ से अभी हाल में september2016 में GONDA के एक मित्र द्वारा फाइल की rti का जवाब भी दिखाया गया जिसमें भी यही उत्तर ncte का था कि सर्कार वेटेज देने के लिए बाध्य नहीं है अब क्या था जज साहब का माथा ठनक गया। NCTE द्वारा rti के जवाब को इंगित करते हुए अपने सह खंडपीठ जज को दिखाते हुए बोले कितनी रफ़ लैंग्वेज प्रयोग की है क्या intention निकलता है । ncte अधिवक्ता से पूछा की rti के जवाब का इंटेंशन सिर्फ ये निकल रहा है कि सर्कार वेटेज देने के लिए बाध्य नहीं आप चाहे यहाँ जो भी कहें। और तुरंत ncte के जवाब के लिए कहा।
यहाँ महत्वपूर्ण बिंदु ये है कि NCTE की छवि बेहद careless संस्था के तोर पर जज साहब के दिमाग में चढ़ी है।
3. H N Singh साहब द्वारा घटनाओं के क्रम में फुल बेंच के आर्डर को भी रीड कराया गया जिसमें पैरा no 86/87/88 पढ़ाया गया. अधिवक्ता साहब ने ये बताने की कोशिश की इस आर्डर में जो नहीं भी मांगी गयी वो चीज़ें वादी को दी गयी इस पर जज साहब ने कहा कि नहीं बहुत सारी बातें during आर्गुमेंट आती है इसमें अगर कोई relevent बात आई बीच में तो उसमें कुछ नया नहीं है। लेकिन महत्वपूर्ण बात ये अंत में जज साहब इस बात की तरफ झुके कि फुल बेंच में की गयी व्याख्या तर्कसंगत नहीं है अंत में बहस कल के adjourn की गयी।
किसी निष्कर्ष पर पहुंचना अभी बेहद मुश्किल है लेकिन जुजे साहब का NCTE के लिए रवैया और फुल बेंच द्वारा दी गयी व्याख्या से असहमत होना जूनियर साथियों के लिए किसी भी बूस्ट टॉनिक से कम नहीं है और टेट सुपोर्टरों के लिए उलटी गिनती का आरंभ है
ये पूरी कोर्ट द्वारा ऑब्जरवेशन संक्षेप में है पूरी ऑब्जरवेशन संभव नहीं है।
धन्यवाद
ओम नारायण तिवारी
उच्च प्राथमिक शिक्षक संघ उत्तर प्रदेश
जय Jrt
No comments:
Post a Comment