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Thursday 18 May 2017

शिक्षामित्रों पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुरक्षित, अंतिम समय पर टेट पास शिक्षा मित्रों को माफ करने की गुहार, समस्त शिक्षा मित्रों को मानवीय आधार दया की याचना, सुप्रीम कोर्ट टेट योग्यता से छूट देने पर सख्त, टेट वेटेज पर शुक्रवार को सुनवाई,


शिक्षामित्रों पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुरक्षित, अंतिम समय पर टेट पास शिक्षा मित्रों को माफ करने की गुहार, समस्त शिक्षा मित्रों को मानवीय आधार दया की याचना, सुप्रीम कोर्ट टेट योग्यता से छूट देने पर सख्त,
टेट वेटेज पर शुक्रवार को सुनवाई,

ब्यूरो/अमर उजाला, लखनऊ
Updated Thu, 18 May 2017 02:01 AM IST
उत्तर प्रदेश के 1.72 लाख शिक्षामित्रों का सहायक शिक्षकों के तौर पर समायोजन के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लिखित रूप से अपना पक्ष रखने वाले पक्षकार एक हफ्ते के भीतर अपना पक्ष रख सकते हैं। अदालती समय सीमा और परंपरा से हटकर सुप्रीम कोर्ट ने शाम चार बजे के बाद इस मामले पर सुनवाई शुरू की जो तकरीबन छह बजे तक चली।
न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति यूयू ललित की पीठ ने बुधवार को सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद इस मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया। शिक्षामित्रों की ओर से सलमान खुर्शीद, अमित सिब्बल, नितेश गुप्ता, जयंत भूषण, आरएस सूरी सहित कई वरिष्ठ वकीलों ने अपनी ओर से दलीलें पेश की।

शिक्षामित्रों के वकीलों ने ये दी दलील

शिक्षामित्रों की ओर से पेश अधिकतर वकीलों का कहना था कि शिक्षामित्र वर्षों से काम कर रहे हैं। वे अधर में हैं। लिहाजा मानवीय आधार पर सहायक शिक्षक के तौर पर शिक्षामित्रों का समायोजन जारी रखा जाए।
साथ ही उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई कि वह संविधान के अनुच्छेद-142 का इस्तेमाल कर शिक्षामित्रों को राहत प्रदान करे। वरिष्ठ वकील नितेश गुप्ता ने कहा कि सहायक शिक्षक बने करीब 22 हजार शिक्षामित्र ऐसे हैं जिनकेपास अनिवार्य योग्यता है, लेकिन हाईकोर्ट ने इस पर ध्यान नहीं दिया।
उन्होंने कहा कि ये शिक्षामित्र स्नातक बीटीसी और टीईटी पास हैं। ये सभी करीब 10 वर्षों से काम कर रहे हैं। वहीं एक अन्य वकील ने कहा कि यह कहना गलत है कि शिक्षामित्रों को नियमित किया गया है। उन्होंने कहा कि सहायक शिक्षकों केरूप में उनकी नियुक्ति हुई है।

मानवीय आधार पर दिया जाए फायदा

वकीलों का कहना था कि राज्य में शिक्षकों की कमी को ध्यान में रखते हुए स्कीम के तहत शिक्षामित्रों की नियुक्ति हुई थी। उनकी नियुक्ति पिछले दरवाजे से नहीं हुई थी। शिक्षामित्र पढ़ाना जानते हैं। उनके पास अनुभव है। वे वर्षों से पढ़ा रहे है।
उम्र के इस पड़ाव में उनके साथ मानवीय रवैया अपनाया जाना चाहिए। सभी की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया।
मालूम हो कि 12 सिंतबर 2015 को हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के करीब 1.72 लाख शिक्षामित्रों का सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजन को निरस्त कर दिया था। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।
सुप्रीम कोर्ट अब शुक्रवार को इस मसले पर सुनवाई करेगा। अदालत देखेगी कि इन सभी को टीईटी का कितना वैटेज मिलना चाहिए।

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