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Tuesday 27 February 2018

दवाओं की तरह मेडिकल जांच की कीमतें तय करेगी सरकार, कंपनियों में मची खलबली

दवाओं की तरह मेडिकल जांच की कीमतें तय करेगी सरकार, कंपनियों में मची खलबली

अमर उजाला, नई दिल्ली Updated Mon, 19 Feb 2018 02:46 PM IST
अमरउजाला

medical check up
देश के करोड़ों लोगों को बड़ी राहत देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार जल्द ही दवाओं के अलावा मेडिकल जांच (डायग्नोस्टिक टेस्ट) की कीमतें तय करने वाली है। इसके तहत विभिन्न पैथोलॉजी और डायग्नोस्टिक सेंटर की आसमान छूूूती कीमतों और मरीजों से लूटमार के खेल पर लगाम लगेगी। सरकार के इस कदम ने चिकित्सीय उपकरण के उद्योग में खलबली मचा दी है।

विभिन्न निर्माता कंपनियां अपने-अपने स्तर पर इस फैसले को बेबुनियाद बताने में जुटी हैं। लेकिन सरकार का रुख एकदम स्पष्ट होने से उनका तनाव बढ़ा है। दरअसल, अक्सर देखने को मिलता है कि अगर मरीज का कोई टेस्ट किसी लैब या सेंटर में 100 रुपये में हो रहा है तो वही टेस्ट दूसरी लैब या सेंटर में 300 से 500 रुपये में होता है।

विभिन्न सुविधाओं और जांच की विश्वसनीयता का हवाला देकर मरीजों से ज्यादा कीमतें वसूली जाती हैं। इसी गोरखधंधे के खिलाफ नीति आयोग और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मिलकर काम शुरू कर दिया है। अगले महीने 12 मार्च को बुलाई बैठक में इस पर फैसला हो सकता है।

एमआरआई और सीटी स्कैन की लूट होगी खत्म
सूत्र बताते हैं कि इस फैसले के बाद सबसे पहले और बड़ी राहत एमआरआई और सीटी स्कैन पर मरीजों को मिलेगी। आमतौर पर देखने को मिलता है कि एक जैसा एमआरआई कहीं पांच तो कहीं तीन हजार रुपये में होता है। जबकि उसकी गुणवत्ता और प्रकार समान होता है। इसके कारण मरीज सीधे तौर पर लूट का शिकार हो रहा है।


300 तरह के टेस्ट की बनेगी सूची

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300 तरह के टेस्ट की बनेगी सूची
प्राप्त जानकारी के अनुसार, नीति आयोग और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मिलकर एक मसौदा तैयार किया है। इसमें आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची की तरह मेडिकल टेस्ट की सूची भी बनेगी। इसमें रक्तजांच, एमआरआई, सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड, यूरिन जांच, किडनी और हार्ट जांच, ब्लड प्रोफाइल सहित करीब 300 से ज्यादा मेडिकल टेस्ट की सूची बनेगी, जिसे देश भर में लागू किया जाएगा। फिलहाल इस मसौदे पर भारतीय कंपनियों ने बातचीत पूरी हो चुकी है।

ये मानक हुए हैं तय
पैथोलॉजी पर सरकार ने तय किए मानकों में जांच केन्द्रों को बेसिक, मीडियम और एडवांस कैटेगरी में बांटा है। पिछले दिनों इसका ड्राफ्ट नोटिफिकेशन भी जारी हो चुका है। इसके तहत हर जांच केंद्र को की गई सभी जांचों का ब्यौरा रखना आवश्यक होगा। इससे अनावश्यक जांचों पर लगाम लगाई जा सकेगी।

अब तक ये हो चुका है सस्ता
केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री अनंत कुमार के मुताबिक पिछले तीन वर्षों के भीतर सरकार एक हजार से ज्यादा दवाओं की कीमतों पर लगाम कस चुकी है। जबकि स्टेंट, घुटना और कूल्हा प्रत्यारोपण भी सस्ता हुआ है। जबकि वर्ष 2014 तक देश में केवल 400 तरह की दवाओं पर ही सरकार का नियंत्रण था। ठीक इसी तरह आने वाले वक्त में इम्प्लांट भी सस्ते करने की कवायद जारी है। दावा है कि अगर कोई मरीज मधुमेह ग्रस्त है और वह हर दिन दवाओं का सेवन करता है तो दवाओं से लेकर जांच तक प्रति मरीज पांच हजार रुपये प्रति माह तक का फायदा मरीज को हुआ है।

राष्टीय सूची में और जुड़ेंगी दवाएं
बंगलुरू में तीन तक चले इंडिया फॉर्मा और मेडिकल डिवाइस कान्फ्रेंस में मौजूद सूत्र बताते हैं कि 12 मार्च को ही सरकार देश में लागू 351 आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची में बदलाव करने वाली है। इस बैठक में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के प्रतिनिधि भी होंगे। बताया जा रहा है कि डब्ल्यूएचओ और भारत की राष्ट्रीय सूची में काफी अंतर है। जिसे खत्म करने के लिए ही सरकार ये कदम उठा रही है।

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