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Monday 11 June 2018

टीईटी को अवैध कराने को लेकर फ़ाइल याचिका का सत्य :


*टीईटी को अवैध कराने को लेकर फ़ाइल याचिका का सत्य :*
C/P
सर्वप्रथम यह स्पष्ट कर दूँ कि कोर्ट ने किसी की भी टीईटी अवैध घोषित नहीं की है। अतः चैन की साँस लीजिए तथा अब आगे का भाग पढ़िए :

याची ने मांग की थी जिन लोगों ने शिक्षक प्रशिक्षण कोर्स का अंतिम रिजल्ट आने से पूर्व टीईटी परीक्षा पास की है, उन सभी की टीईटी अवैध घोषित की जाए। और इसके लिए याची ने #सीटीईटी_सितम्बर_2014 के नोटिफिकेशन को आधार बनाया है।

सीटीईटी सितम्बर 2014 का नोटिफिकेशन, अर्हता को लेकर पैरा 7 में कहता है :

✒ The following persons are eligible for appearing in the CTET. (निम्न लोग सीटीईटी देने हेतु पात्र हैं)

✒ Graduation and passed or appearing in final year of two year Diploma in Elementary Education. (स्नातक तथा द्विवर्षीय बीटीसी पास अथवा उसके अंतिम वर्ष में)

इसके अतिरिक्त उक्त नोटिफिकेशन का पैरा 7.3 (v) कहता है :

✒ Candidates who are appearing in the final year of Bachelor Degree in Education or Diploma in Elementary Education etc. are provisionally admitted and their CTET Certificate shall be valid only on passing the aforesaid Examinations. (ऐसे अभ्यर्थी जो शिक्षक प्रशिक्षण कोर्स के अंतिम वर्ष में प्रशिक्षणरत हैं उनको सीटीईटी में औपबंधिक रूप से शामिल किया गया है तथा उनका सीटीईटी प्रमाणपत्र उक्त शिक्षक प्रशिक्षण परीक्षा पास करने के बाद मान्य होगा)

उक्त याचिका में सीटीईटी 2014 के नोटिफिकेशन को आधार बनाया गया है जबकि :

1) यह नोटिफिकेशन सीटीईटी 2014 की बात करता है, किसी अन्य वर्ष के सीटीईटी अथवा यूपीटीईटी की नहीं। सीटीईटी प्रति वर्ष अलग नोटिफिकेशन निकालती है जो केवल उस ही वर्ष की सीटीईटी के लिए मान्य होता है।

2) नोटिफिकेशन के पैरा 7.3 (v) में स्पष्ट लिखा है कि अंतिम वर्ष में प्रशिक्षणरत लोगों का प्रमाणपत्र बीटीसी उत्तीर्ण करने पर मान्य होगा। यहाँ यह नहीं लिखा है कि यदि सीटीईटी का रिजल्ट प्रशिक्षण कोर्स के अंतिम रिजल्ट आने के बाद आता तब ही मान्य होगा। बल्कि यह लिखा है कि प्रशिक्षण कोर्स (बीटीसी) पास करने के उपरान्त ही सीटीईटी प्रमाणपत्र मान्य होगा।

3) कुछ शातिर लोगों द्वारा पैरा 7.3 (v) की गलत व्याख्या के कारण सीटीईटी ने इस शर्त को अगले वर्ष के नोटिफिकेशन में से हटा दिया है, सीटीईटी 2016 के नोटिफिकेशन में यह शर्त भी हटा ली गई है। इस वर्ष का नोटिफिकेशन सीटीईटी की वेबसाइट पर होगा, इच्छुक लोग जाकर उसको पढ़ सकते हैं।

इस नोटिफिकेशन के पैरा 7.3(v) जैसी ही शर्त टीईटी के नोटिफिकेशन में भी थी परन्तु उसका भी यह ही अर्थ है कि टीईटी प्रमाणपत्र शिक्षक प्रशिक्षण कोर्स उत्तीर्ण करने के बाद ही मान्य होगा जिस कारण से जिला शिक्षा एव प्रशिक्षण संस्थान (डायट) से भी टीईटी उत्तीर्ण समस्त लोगों को बीटीसी पास करने के बाद ही टीईटी का प्रमाणपत्र बांटा जाता है।

इसके अतिरिक्त एनसीटीई की टीईटी को लेकर 11/02/2011 को जारी की गई गाइडलाइन के पैरा 5(ii) में स्पष्ट लिखा है कि वह सभी लोग टीईटी में भाग लेने हेतु अर्ह होंगे जो एनसीटीई द्वारा मान्य शिक्षक प्रशिक्षण कोर्स में प्रशिक्षणरत हैं। उक्त गाइडलाइन में किसी भी वर्ष अथवा सेमेस्टर का उल्लेख नहीं है। उक्त गाइडलाइन में कही भी सीटीईटी के नोटिफिकेशन के पैरा 7.3 (v) जैसी कोई भी शर्त नहीं है। शायद इसी कारण से सीटीईटी ने भी इस शर्त को इस वर्ष से हटा लिया है।

यह भी स्पष्ट है कि न तो केंद्र सरकार और न ही राज्य सरकार एनसीटीई की 11/02/2011 की गाइडलाइन से हटकर टीईटी का आयोजन कर सकते हैं। अतः इस शर्त का तो वैसे भी कोई औचित्य नहीं है। जब कहीं भी स्पष्ट रूप से यह नहीं लिखा है कि बीटीसी पास करने से पूर्व टीईटी नहीं दिया जा सकता अथवा ऐसा टीईटी मान्य नहीं होगा तब बाद में उसको अवैध घोषित करने का न तो कोई तर्क है न ही कोई कानूनी कारण। टीईटी का उद्देश्य प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे प्रशिक्षु की योग्यता का मापन करना होता है, यह केवल एक पात्रता परीक्षा है अतः इसके सन्दर्भ में ऐसी कोई भी शर्त न केवल आधारहीन है अपितु अनावश्यक भी है। जितने अधिक लोग टीईटी पास होंगे उतने ही अधिक लोग अध्यापक बनने की दौड़ में शामिल होंगे व योग्य में सर्वाधिक योग्य लोगों का चुनाव होगा, इससे अनुच्छेद 21 A तथा अनुच्छेद 16(1) दोनों के ही उद्देश्यों की पूर्ति होगी।

जज साहब ने उक्त याचिका में कोई भी बहस न करते हुए अंतिम पैरा में स्पष्ट लिखा है कि :

Court has not adjudicated the claim of petitioners on merit (अर्थात कोर्ट ने याची की मांग के कानूनी पहलू पर कोई निर्णय नहीं दिया है।)

कोर्ट ने पीएनपी सचिव श्री नीना श्रीवास्तव जी को आदेश की प्रति प्राप्त होने के 3 माह के भीतर उक्त गाइडलाइन के अनुसार निर्णय लेने को कहा है। अर्थात कोर्ट ने स्वयं कोई भी निर्णय न लेते हुए नीना मैडम को निर्णय लेने

(सोशल मीडिया से साभार)

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