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Monday 25 February 2019

पहले से कार्यरत अध्यापकों पर नहीं लागू होगा टीईटी अनिवार्यता कानून- हाईकोर्ट

पहले से कार्यरत अध्यापकों पर नहीं लागू होगा टीईटी अनिवार्यता कानून- हाईकोर्ट



 

 

 

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Allahabad High Court


हाईकोर्ट ने कहा है कि जूनियर ,सीनियर बेसिक स्कूलों में अध्यापको की नियुक्ति में टीईटी की अनिवार्यता कानून पहले से कार्यरत अध्यापको पर लागू नही होगा। 2010 से पहले से कार्यरत अध्यापक के प्रधानाचार्य नियुक्ति मामले में 5 वर्ष का अध्यापन अनुभव रखने वाले अध्यापक की नियुक्ति अवैध नही मानी जा सकती।


साथ ही हाईकोर्ट ने कहा कि,  टीईटी अनिवार्यता इस कानून के लागू होने से पहले के अध्यापको पर लागू नही होगी। ऐसे में बिना टीईटी पास किये अध्यापन अनुभव के आधार पर प्रधानाचार्य पद पर नियुक्ति की जा सकती है।

Sunday 24 February 2019

जानिए जम्मू कश्मीर में क्या है धारा 370

जम्मू कश्मीर के पास क्या विशेष अधिकार हैं

- धारा 370 के प्रावधानों के मुताबिक संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है।

- किसी अन्य विषय से संबंधित कानून को लागू करवाने के लिए केंद्र को राज्य सरकार की सहमति लेनी पड़ती है।

- इसी विशेष दर्जे के कारण जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती। राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं है।

- 1976 का शहरी भूमि कानून भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता।

- भारत के अन्य राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते हैं। धारा 370 के तहत भारतीय नागरिक को विशेष अधिकार प्राप्त राज्यों के अलावा भारत में कहीं भी भूमि खरीदने का अधिकार है।

- भारतीय संविधान की धारा 360 यानी देश में वित्तीय आपातकाल लगाने वाला प्रावधान जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता.

जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय करना उस वक्त की बड़ी जरूरत थी। इस कार्य को पूरा करने के लिए जम्मू-कश्मीर की जनता को उस समय धारा 370 के तहत कुछ विशेष अधिकार दिए गए थे। इसी की वजह से यह राज्य भारत के अन्य राज्यों से अलग है।

धारा 370 की बड़ी बातें

- जम्मू-कश्मीर का झंडा अलग होता है।

- जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता होती है।

- जम्मू-कश्मीर में भारत के राष्ट्रध्वज या राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान अपराध नहीं है। यहां भारत की सर्वोच्च अदालत के आदेश मान्य नहीं होते।

- जम्मू-कश्मीर की कोई महिला यदि भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से शादी कर ले तो उस महिला की जम्मू-कश्मीर की नागरिकता खत्म हो जाएगी।

- यदि कोई कश्मीरी महिला पाकिस्तान के किसी व्यक्ति से शादी करती है, तो उसके पति को भी जम्मू-कश्मीर की नागरिकता मिल जाती है।

- धारा 370 के कारण कश्मीर में रहने वाले पाकिस्तानियों को भी भारतीय नागरिकता मिल जाती है।

- जम्मू-कश्मीर में बाहर के लोग जमीन नहीं खरीद सकते हैं।

- जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 साल होता है। जबकि भारत के अन्य राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल 5 साल होता है।

- भारत की संसद जम्मू-कश्मीर के संबंध में बहुत ही सीमित दायरे में कानून बना सकती है।

- जम्मू-कश्मीर में महिलाओं पर शरियत कानून लागू है।

- जम्मू-कश्मीर में पंचायत के पास कोई अधिकार नहीं है। 

- धारा 370 के कारण जम्मू-कश्मीर में सूचना का अधिकार (आरटीआई) लागू नहीं होता। 

- जम्मू-कश्मीर में शिक्षा का अधिकार (आरटीई) लागू नहीं होता है। यहां सीएजी (CAG) भी लागू नहीं है।

- जम्मू-कश्मीर में काम करने वाले चपरासी को आज भी ढाई हजार रूपये ही बतौर वेतन मिलते हैं।

- कश्मीर में अल्पसंख्यक हिन्दूओं और सिखों को 16 फीसदी आरक्षण नहीं मिलता है।

Tuesday 19 February 2019

Appearing मुद्दे पर फिर टली सुनवाई, मिली नई डेट

आज एक बार फिर Appearing मुद्दे पर एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टाल दी गई। कोर्ट नं 5 में केस नंबर 18 को जज अरुण कुमार मिश्र ने 6 मार्च को सुनवाई की नई तारीख लगा दी।

Wednesday 13 February 2019

यूपी सरकार का बड़ा फैसला: टीजीटी भर्ती के लिए अब नहीं देना होगा इंटरव्यू

यूपी सरकार का बड़ा फैसला: टीजीटी भर्ती के लिए अब नहीं देना होगा इंटरव्यू




   


प्रदेश सरकार ने राज्य के अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में (टीजीटी स्नातक वेतनमान) के पदों की भर्ती में इंटरव्यू की व्यवस्था खत्म करने का फैसला किया है। ऐसा इंटरव्यू में होने वाले भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए किया गया है। अब केवल लिखित परीक्षा परिणाम की मेरिट के आधार पर ही शिक्षकों की भर्ती की जाएगी। इससे संबंधित प्रस्ताव को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार की देर शाम हुई कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दे दी गई। 


कैबिनेट फैसले के अनुसार इस फैसले के लिए यूपी माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड नियमावली-1998 में पांचवें संशोधन को मंजूरी दी गई है। खास बात यह है कि यूपी अवर स्तरीय पदों पर सीधी भर्ती के लिए लिखित-साक्षात्कार (साक्षात्कार बंद किया जाना) नियमावली-2017 के लिए कार्मिक विभाग ने 31 अगस्त, 2017 को अधिसूचना जारी की थी। 

अशासकीय सहायता प्राप्त हाईस्कूल और इंटरमीडिएट कालेज के संबद्ध प्राइमरी विभाग में मौलिक रूप से खाली सहायक अध्यापक के पदों पर भर्ती भी अब यूपी माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड करेगा। लेकिन इसमें बेसिक शिक्षा  सेवा नियमावली-1981 लागू होगी। 

यूपी: कर्मचारियों से मुलाकात में प्रियंका गांधी ने कहा- घोषणापत्र में शामिल होगा पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा

यूपी: कर्मचारियों से मुलाकात में प्रियंका गांधी ने कहा- घोषणापत्र में शामिल होगा पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा

नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम के अध्यक्ष ने बताया कि प्रियंका ने आश्वासन दिया है कि कांग्रेस केन्द्र की सत्ता में वापसी के बाद पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल करेगी और इस मुद्दे को चुनावी घोषणापत्र में भी शामिल करेगी.

लखनऊ: कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने बुधवार को कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधिमण्डल से मुलाकात की और पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाली के मुद्दे को अगले लोकसभा चुनाव के लिये पार्टी के घोषणापत्र में शामिल करने का आश्वासन दिया.

अपने प्रभार वाले लोकसभा क्षेत्रों में पार्टी की स्थिति की समीक्षा में जुटी प्रियंका ने नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (एनएमओपीएस) के प्रतिनिधिमण्डल से मुलाकात की.

मुलाकात के बाद संगठन के अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने बताया कि उन्होंने कांग्रेस महासचिव को पुरानी पेंशन बहाल करने सम्बन्धी मांगों से अवगत कराते हुए कहा कि एक जनवरी 2004 को तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने पुरानी पेंशन व्यवस्था को समाप्त करके अंशदायी पेंशन व्यवस्था लागू की थी. यह ना तो कर्मचारियों के हित में है और ना ही देश और सरकार के.

उन्होंने बताया कि पूर्व में कर्मचारियों को उनकी आखिरी तनख्वाह का कम से कम 50 प्रतिशत हिस्सा प्रतिमाह पेंशन के रूप में मिलता था, मगर पुरानी पेंशन व्यवस्था खत्म होने से यह आर्थिक सुरक्षा खत्म हो गयी है.

बंधु ने बताया कि प्रियंका ने उनकी बात को ध्यान से सुना और कहा कि जब 40 साल तक सेवा करने के बाद भी कर्मचारी का भविष्य सुरक्षित नहीं है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है.

उन्होंने बताया कि प्रियंका ने आश्वासन दिया कि कांग्रेस केन्द्र की सत्ता में वापसी के बाद पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल करेगी और उनकी पार्टी इस मुद्दे को चुनावी घोषणापत्र में भी शामिल करेगी.

बंधु ने बताया कि प्रियंका ने तुरंत इस बारे में एक पत्र कांग्रेस की घोषणापत्र समिति के पास भिजवाया.

देश में करीब 60 लाख पेंशनभागी हैं

Friday 8 February 2019

नई पेंशन स्कीम अच्छी है तो सांसदों-विधायकों पर क्यों नहीं लागू करते: हाईकोर्ट

नई पेंशन स्कीम अच्छी है तो सांसदों-विधायकों पर क्यों नहीं लागू करते: हाईकोर्ट

Friday, 08 Feb, 8.25 pm
प्रयागराज, 08 फरवरी (हि.स.)। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर राज्य कर्मचारी की हड़ताल पर राज्य सरकार के रवैए की तीखी आलोचना की है और पूछा है कि, बिना कर्मचारियों की सहमति के उनका अंशदान शेयर में सरकार कैसे लगा सकती है। कोर्ट ने पूछा है कि क्या सरकार असंतुष्ट कर्मचारियों से काम ले सकती है। यही नहीं कोर्ट ने कहा है कि यदि नई पेंशन स्कीम अच्छी है तो इसे सांसदों और विधायकों की पेंशन पर क्यों नहीं लागू किया जाता है। कोर्ट ने कहा कि, सरकार लूट खसोट वाली करोड़ों की योजनाएं लागू करने में नहीं हिचकती और उसे 30 से 35 साल की सेवा के बाद सरकारी कर्मचारियों को पेंशन देने में दिक्कत हो रही है।

कोर्ट ने पूछा कि, सरकार को क्या कर्मचारियों को न्यूनतम पेंशन देने का आश्वासन नहीं देना चाहिए। सांसदों, विधायकों को बिना नौकरी के सरकार पेंशन दे रही है तो लंबी नौकरी के बाद कर्मचारियों को क्यों नहीं दे रही। कोर्ट ने कहा कि सांसद विधायक तो वकालत समेत अन्य व्यवसाय भी कर सकते हैं फिर भी वे पेंशन के हकदार हैं। कोर्ट ने कहा कि, कर्मचारियों की हड़ताल से सरकार का नहीं लोगों का नुकसान होता है।

कोर्ट में पेश कर्मचारी नेताओं को कोर्ट ने अपनी शिकायत व पेंशन स्कीम की खामियों को 10 दिन में ब्यौरे के साथ पेश करने को कहा और सरकार को इस पर विचार कर 25 फरवरी तक हलफनामा देने का निर्देश दिया है। यह आदेश जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस राजेंद्र कुमार की खंडपीठ ने राजकीय मुद्रणालय कर्मियों की हड़ताल से हाईकोर्ट की काजलिस्ट न छपने से न्याय प्रशासन को पंगु बनाने पर कायम जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार से जानना चाहा कि पुरानी पेंशन स्कीम की मांग मानने में क्या कठिनाई है। यदि नई स्कीम इतनी अच्छी है तो अन्य लोगों पर क्यों नहीं लागू करते।

शेयर में लगाने के बाद पैसा डूबा तो इसका जिम्मेदार कौन होगा। कोर्ट ने पूछा कि क्या सरकार को न्यूनतम पेंशन नहीं तय करना चाहिए। कोर्ट में पेश कर्मचारी नेताओं के अधिवक्ता टीपी सिंह ने बताया कि हड़ताल खत्म हो गई है। राजकीय मुद्रणालय में काम शुरू हो गया है।

सरकार कर्मचारियों की मांगों पर विचार नहीं कर रही है। 2005 से नई पेंशन स्कीम लागू की गई है। जिस पर कर्मचारियों को गहरी आपत्ति है।