Welcome to BASIC KA TEACHER.COM

Translate

Monday 27 February 2017

शिक्षा की गुणवत्ता के साथ समझौता बर्दाश्त नहीं, शिथिलता पर नपेंगे शिक्षक

शिक्षा की गुणवत्ता के साथ समझौता बर्दाश्त नहीं, शिथिलता पर नपेंगे शिक्षक

एबीआरसी को पर्याप्त जानकारी मुहैया न कराये जाने पर डीसी निर्माण को लगाई फटकार

स्कूल में अवस्थापना सुविधाएं पूर्ण न मिलने पर प्रधानाध्यापक, एनपीआरसी, एबीआरसी, एबीएसए होंगे निलंबित

एटा। डीएम विजय किरन आनन्द ने सोमवार को अपरान्ह में बेसिक शिक्षा विभाग के सभी एबीएसए, एबीआरसी, एनपीआरसी आदि के साथ जनपद के सभी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता, विद्यालय में अवस्थापना सुविधाओं , एमडीएम आदि के संबंध में बैठक की। बैठक को संबोधित करते हुए डीएम ने निर्देश दिये कि जनपद में लगभग 7 हजार से अधिक का स्टाफ होने के बावजूद भी शिक्षा की गुणवत्ता में कोई सुधार क्यों नहीं हो रहा है, विभाग से जुड़े सभी अधिकारी, कर्मचारी अपने-अपने दायित्वों को निर्वहन पूर्ण ईमानदारी, निष्ठा के साथ करें, इसमें किसी भी प्रकार की शिथिलता न बरती जाये, शिक्षा की गुणवत्ता के साथ समझौता अब किसी भी दशा में बर्दाश्त नहीं किया जायेगा, लापरवाही मिलने पर संबंधित के खिलाफ दण्डात्मक कार्यवाही की जायेगी। अवस्थापना सुविधाओं की जानकारी संबंधित कर्मचारियों को उपलब्ध न कराये जाने पर डीएम ने कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए डीसी निर्माण संजय यादव को कड़ी फटकार लगाई।

           डीएम विजय किरन आनन्द ने कहा कि जनपद के सभी स्कूलों में अवस्थापना सुविधाएं शौचालय निर्माण, वाउण्ड्रीवाल, किचिन सैड, विद्युत कनेक्शन, सोलर लाईट आदि पूर्ण की जाये, जो भी कमियां हैं उन्हें संबंधित लेखपाल, ग्राम सचिव, बीडीओ आदि के समन्वय रखकर दूर किया जाये, सभी स्कूलों में आगामी 15 दिन में नये यूरीनल लगाये जायें, टायलेट में टायल आदि भी लगाये जायें, स्कूल के टायलेट को माॅडल टायलेट बनाया जाये। यदि किसी स्कूल की वाउण्ड्रीवाल नहीं हैं तो संबंधित ग्राम प्रधान से समन्वय कर ग्राम निधि, मनरेगा से वाउण्ड्रीवाल का कार्य पूर्ण कराया जाये, दो माह में सभी स्कूलों की वाउण्ड्रीवाल पूर्ण हो जानी चाहिए, जहां फेसिंग की आवश्यकता है वहां फेसिंग कराई जाये। स्कूलों में ब्लैक बोर्ड सही दिखने चाहिए, हो सके तो व्हाईट वोर्ड, मार्कर का प्रयोग किया जाये। जिन स्कूलों में गैस कनेक्शन नहीं हैं, वहां गैस कनेक्शन लिया जाये, चूल्हे पर खाना बनता पाया गया तो संबंधित स्कूल के प्रधानाचार्य के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जायेगी।

             डीएम विजय किरन आनन्द ने कहा कि 15 अप्रैल से 20 मई तक स्वच्छ भारत मिशन की गाड़ी द्वारा स्कूल में अवस्थापना सुविधाओं की चैकिंग कराई जायेगी। अवस्थापना सुविधाएं पूर्ण न मिलने पर संबंधित हैड टीचर, एनपीआरसी, एबीआरसी, एबीएसए के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जायेगी, साथ ही निलंबन भी होगा।

         डीएम ने कहा कि जनपद में ड्राप आउट बच्चों पर विशेष रूप से फोकस किया जाये, स्कूलो में अच्छी शिक्षा मुहैया कराई जाये, जिससे कोई भी छात्र ड्राप आउट न हो। लैसन प्लान के आधार पर आगामी सत्र की पढ़ाई शुरू कराई जायेगी। ब्लाक स्तर पर शिक्षकों, एनपीआरसी आदि की कार्यशाला संबंधित एबीएसए द्वारा की जाये। कक्षा का माहौल अच्छा बनायंे, तभी गुणवत्तापूर्ण शिक्षण संभव हो सकेगा। स्कूलों में छात्रों के सापेक्ष शिक्षकों की तैनाती की रिपोर्ट 15 दिन में सभी एबीएसए द्वारा उपलब्ध कराई जाये। सभी एबीआरसी, एनपीआरसी द्वारा कम से कम 30 स्कूलों के निरीक्षण कर रिपोर्ट उपलब्ध कराई जाये। 31 जुलाई को जनपद में पहला यूनिट टैस्ट होगा, कम्प्यूटर में फीडिंग के उपरान्त शिक्षकों का रिपोर्ट कार्ड तैयार किया जायेगा, 60 प्रतिशत से कम प्रगति पर संबंधित के खिलाफ कार्यवाही होगी। स्कूल मैनेजमेंट कमेटी, अभिभावकों के साथ समय-समय पर बैठक की जाये।

           बैठक में बीएसए रमाकांत वर्मा, वित्त एवं लेखाधिकारी बेसिक अजय कुमार, एबीएसए ओपी अकेला, बृजराज सिंह, एसपी सिंह सहित सभी एबीआरसी, एनपीआरसी आदि मौजूद थे।

Saturday 25 February 2017

*बेसिक शिक्षा में लगा अंकुश, दो बाबू कार्यमुक्त

बेसिक शिक्षा में लगा अंकुश, दो बाबू कार्यमुक्त
----------------------------------------------

*एटा :-* बेसिक शिक्षा विभाग में पिछले दिनों चलती रही मनमानी पर अब अंकुश लगता नजर आ रहा है। कई लिपिकों की मूल तैनाती होने के बावजूद भी अधिकारियों ने उन्हें कार्यालय में ही अतिरिक्त कार्यभार देकर संबंद्ध कर लिया। यहां तक कि मानकों की भी धज्जियां उड़ा दी कि कनिष्ठ लिपिकों को प्रधान लिपिक जैसे पद का कार्यभार तक दे दिया। *अब डीएम के सख्त तेवरों के बाद* फिलहाल दो बाबुओं को कार्यालय से कार्यमुक्त कर मूल तैनाती स्थलों पर भेजा गया है।

जिलाधिकारी द्वारा विभागीय निरीक्षण के दौरान ही विभाग में सुधार के निर्देश दिए थे। इसके बाद जहां स्कूलों में पठन-पाठन सु²ढ़ करने के लिए ब्लॉकवार टीमें बनाकर संयुक्त कार्रवाई शुरू की गई है। वहीं कार्यालय में भी चहेते लिपिकों को सौंपे गए अतिरिक्त पटलों को लेकर भी सुधार की प्रक्रिया तेज की गई है। बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय से संबंद्ध दो लिपिकों को तत्काल इसी प्रक्रिया के तहत हटाते हुए उनके मूल तैनाती स्थलों के लिए कार्यमुक्त किया गया है। खंड शिक्षाधिकारी सकीट के कार्यालय लिपिक प्रभात कुमार यादव को पूर्व शिक्षाधिकारी द्वारा कनिष्ठ होते हुए भी प्रधान लिपिक जैसे पद की जिम्मेदारी सौंप दी गई थी। अब संबंधित लिपिक को सकीट कार्यालय के लिए कार्यमुक्त कर दिया गया है।

इस तरह बीएसए रमाकांत वर्मा ने प्रथम चरण में डीएम के निर्देश पर इस तरह की कार्रवाई की है। अभी माना जा रहा है कि जल्द ही कुछ अन्य लिपिकों के विरुद्ध भी मिल रहीं शिकायतों के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
*बीएसए का कहना है-* कि विभाग में सुधार के लिए कार्रवाई शुरू कर दी गई है। जल्द ही अच्छे परिणाम दिखेंगे। लंबित मामलों के निस्तारण के लिए भी सभी लिपिकों को निर्देश दिए गए हैं।

खबर साभार
ENI NEWS Live..............

*बेसिक शिक्षा में लगा अंकुश, दो बाबू कार्यमुक्त

बेसिक शिक्षा में लगा अंकुश, दो बाबू कार्यमुक्त
----------------------------------------------

*एटा :-* बेसिक शिक्षा विभाग में पिछले दिनों चलती रही मनमानी पर अब अंकुश लगता नजर आ रहा है। कई लिपिकों की मूल तैनाती होने के बावजूद भी अधिकारियों ने उन्हें कार्यालय में ही अतिरिक्त कार्यभार देकर संबंद्ध कर लिया। यहां तक कि मानकों की भी धज्जियां उड़ा दी कि कनिष्ठ लिपिकों को प्रधान लिपिक जैसे पद का कार्यभार तक दे दिया। *अब डीएम के सख्त तेवरों के बाद* फिलहाल दो बाबुओं को कार्यालय से कार्यमुक्त कर मूल तैनाती स्थलों पर भेजा गया है।

जिलाधिकारी द्वारा विभागीय निरीक्षण के दौरान ही विभाग में सुधार के निर्देश दिए थे। इसके बाद जहां स्कूलों में पठन-पाठन सु²ढ़ करने के लिए ब्लॉकवार टीमें बनाकर संयुक्त कार्रवाई शुरू की गई है। वहीं कार्यालय में भी चहेते लिपिकों को सौंपे गए अतिरिक्त पटलों को लेकर भी सुधार की प्रक्रिया तेज की गई है। बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय से संबंद्ध दो लिपिकों को तत्काल इसी प्रक्रिया के तहत हटाते हुए उनके मूल तैनाती स्थलों के लिए कार्यमुक्त किया गया है। खंड शिक्षाधिकारी सकीट के कार्यालय लिपिक प्रभात कुमार यादव को पूर्व शिक्षाधिकारी द्वारा कनिष्ठ होते हुए भी प्रधान लिपिक जैसे पद की जिम्मेदारी सौंप दी गई थी। अब संबंधित लिपिक को सकीट कार्यालय के लिए कार्यमुक्त कर दिया गया है।

इस तरह बीएसए रमाकांत वर्मा ने प्रथम चरण में डीएम के निर्देश पर इस तरह की कार्रवाई की है। अभी माना जा रहा है कि जल्द ही कुछ अन्य लिपिकों के विरुद्ध भी मिल रहीं शिकायतों के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
*बीएसए का कहना है-* कि विभाग में सुधार के लिए कार्रवाई शुरू कर दी गई है। जल्द ही अच्छे परिणाम दिखेंगे। लंबित मामलों के निस्तारण के लिए भी सभी लिपिकों को निर्देश दिए गए हैं।

खबर साभार
ENI NEWS Live..............

Friday 24 February 2017

पी.पी.एफ. में निवेश एवं टैक्स बचत


■■■■■■■■■■
*पी.पी.एफ. में निवेश एवं टैक्स बचत*

*पी.पी.एफ. खाता क्‍या है?*
★★★★★★★★★★★
लम्‍बे निवेश को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा पी.पी.एफ. खाता को प्रोत्‍साहित किया जाता है। यह पोस्‍ट ऑफिस और सरकारी बैंकों में खोला जा सकता है। पहले यह खाता सिर्फ भारतीय स्‍टेट बैंक में ही खुल सकता था, किन्‍तु अब अन्‍य बैंकों को पी.पी.एफ. खाते के संचालन की अनुमति प्रदान कर दी गयी है।
पी.पी.एफ. खाता एकल प्रकार का खाता होता है, जो स्‍वयं अथवा नाबालिग बच्‍चे के नाम से भी खोला जा सकता है। इसे पति-पत्‍नी दोनों के नाम से अलग-अलग भी खोला जा सकता है। यह खात आमतौर 15 वर्षों के लिए डिजाइन है, जिसे 15 वर्षों के बाद भी 05-05 वर्ष की अवधि के लिए जब तक आप चाहें, बढ़ाया जा सकता है। इसके अतिरिक्‍त खाते की परिपक्‍वता के बाद भी यदि इसका पैसा एकाउंट में जमा रहता है, तो भी उस पर ब्‍याज प्राप्‍त होता रहता है। इस खाते के संचालन के लिए उम्र की कोई सीमा निर्धारित नहीं है। इसकी एक अन्‍य विशेषता यह भी है कि खाता कुर्की मुक्‍त होता है।

*पी.पी.एफ. का लाभ:*

पी.पी.एफ. खाते में प्रत्‍येक वित्‍तीय वर्ष में न्‍यूनतम 500 रू0 जमा करना आवश्‍यक (न्‍यूनतम राशि न जमा करने पर रू0 50 का अर्थदण्‍ड लागू) होता है। इस खाते में प्रतिवर्ष अधिकतम 1.5 लाख रू0 जमा किये जा सकते हैं। यह धनराशि एकमुश्‍त अथवा 12 किश्‍तों में जमा की जा सकती है। इस खाते में जमा की जाने वाली राशि पर आयकर की धारा 80सी के इनकम टैक्‍स में छूट प्राप्‍त होती है। इसके अतिरिक्‍त इसपर मिलने वाले ब्‍याज तथा इसकी परिपक्‍वता पर मिलने वाली राशि पर भी इनकम टैक्‍स से छूट प्राप्‍त होता है।
पी.पी.एफ. खाते को अधिक लाभप्रद बनाने के लिए सरकार ने इसे बाजार से सीधे जोड़ दिया है, जिसकी वजह से इसके बॉंड पर जो लाभ प्राप्‍त होता है, उसी के अनुपात में निवेशको को ब्‍याज दर प्रदान की जाती है। इसकी घोषण हर साल सरकार द्वारा की जाती है। पिछले वित्‍तीय वर्ष में पी.पी.एफ. पर 8.70 फीसदी ब्‍याज प्रदान किया गया है।
पी.पी.एफ. में ब्‍याज की गणना वार्षित तौर पर होती है,लेकिन इसका आधार हर माह की 5 तारीख को खाते में उपलब्‍ध राशि  के आधार पर किया जाता है। इसलिए खाता धारक को चाहिए कि वह माह की 01 से लेकर 04 तारीख के मध्‍य ही इस खाते में रूपये जमा करे, जिससे उसे अधिकाधिक लाभ प्राप्‍त हो सके।

लोन एवं धन निकासी की सुविधा:
प्रतिवर्ष 1 अप्रैल को रू. 1 लाख के निवेश पर मिलने वाला लाभयूं तो पी.पी.एफ. खाता  15 वर्ष के लिए खोला जाता है, किन्‍तु आकस्मिक रूप से जरूरत पड़ने पर इसमें जमा राशि पर लोन लिया जा सकता है तथा इसकी परिपक्‍वता से पूर्व भी इससे पैसा निकाला जा सकता है। इस खाते के अन्‍तर्गत खाताधारक 05 वित्‍तीय वर्ष पूर्ण होने के बाद लोन के लिए आवेदन कर सकता है। लोन  के लिए यह नियमावली है कि अप्‍लाई करने के दो वर्ष पूर्व खाता धारक के एकाउंट में कितनी धनराशि जमा होती है, उसका 50 प्रतिशत लोन के रूप में दिया जा सकता है, जिसे 36 महीने में चुकाया जाना आवश्‍यक होगा।

पी.पी.एफ. एकाउंट की परिपक्‍वता से पूर्व धन निकासी के लिए 05 वित्‍तीय वर्ष पूर्ण होने की बाध्‍यता है। 05 वित्‍तीय वर्ष पूर्ण होने के बाद कोई भी व्‍यक्ति अपने खाते से 03 साल पूर्व में खाते में उपलब्‍ध राशि का 50 प्रतिशत अंश अग्रिम भुगतान के रूप में प्राप्‍त कर सकता है।

यह खाता बच्‍चों की पढ़ाई, उनकी शादी तथा रिटायरमेंट के बाद के जीवन की आर्थिक आवश्‍यकताओं के मद्देनजर अच्‍छा विकल्‍प है। यदि आपने अभी तक पी.पी.एफ. एकाउंट नहीं खुलवाया है, तो इसपर गंभीरता से विचार करें। क्‍योंकि लम्‍बे निवेश के लिए यह सबसे बेहतर और सुरक्षित विकल्‍प है।

*आकस्मिक निकासी:*

अभी तक तो यह व्यवस्था नहीं थी, कि समय से पूर्व पी.पी.एफ. से पैसा निकाला जा सके, लेकिन 2016 से सरकार ने यह सुविधा दी है कि बच्चों की उच्च श‍िक्षा या गम्भीर बीमारी की दशा में पी.पी.एफ. से आकस्मिक निकासी की जा सकती है। इस सम्बंध में विस्तृत जानकारी अपने बैंक से प्राप्त कर सकते हैं।

*पी.पी.एफ. से बेहतर क्या?*

यूं तो सामान्य निवेश के लिए पी.पी.एफ. एक सर्वोत्तम विकल्प है, लेकिन यदि आप अपनी बेटी के लिए बचत करना चाहते हैं, तो फिर बेहतर है कि आप पी.पी.एफ. के स्थान पर 'सुकन्या समृद्धि योजना' में निवेश करें। वर्तमान में में पपीपीएफ पर 8.75 फीसदी ब्याज मिल रहा है, जबकि 'सुकन्या समृद्धि योजना' में 9.2 फीसदी ब्याज प्राप्त होता है।

पी.पी.एफ. बनाम एन.एस.सी.

सबसे पहले तो यह स्‍पष्‍ट कर दूं कि पी.पी.एफ. लम्‍बी अवधि के लिए किया गया निवेश है, जबकि एन.एस.सी. एक शार्ट टर्म प्‍लान है। इसके अतिरिक्‍त पी.पी.एफ. एकाउंट जहां बैंक एवं पोस्‍ट आफिस दोनों में खुलवाया जा सकता है, एन.एस.सी. सिर्फ पोस्‍ट आफिस में ही बनती है। एन.एस.सी. 5 एवं 10 वर्ष के विकल्‍पों में उपलब्‍ध है, किन्‍तु दोनों में मिलने वाले ब्‍याज एवं लाभ में अंतर है। जैसे कि 05 साल की एन.एस.एसी. पर 8.40 प्रतिशत की दर से ब्‍याज प्राप्‍त होता है, जबकि 10 दस साल की एन.एस.एसी. पर 8.7 प्रतिशत का ब्‍याज मिलता है। इस हिसाब से यदि 10 हजार रूपये की एनएससी 5 वर्ष के लिए ली जाए, तो उसके मैच्योर होने पर 15,162 रू0 प्राप्त होंगे और यदि इतनी ही राशि की एनएससी 10 वर्ष के लिए ली जाए, परिपक्वता पर 23, 660 रू0 मिलेंगे।

लेकिन इसके साथ ही साथ इसमें एक और कंडीशन है, जो 10 वर्ष की एन.एस.एसी. को हतोत्‍साहित करती है। वह शर्त यह है कि 5 वर्ष की एन.एस.एसी. पर मिलने वाला ब्‍याज तो आपकी इनकम में नहीं जुड़ता है किन्‍तु 10 वर्ष की एन.एस.एसी. पर मिलने वाला ब्‍याज आपकी इनकम में जुड जाता है। इस तरह से 10 वर्ष की एन.एस.एसी. का ब्‍याज भले ही पीपीएफ के समान हो, लेकिन इनकम टैक्‍स में राहत के लिहाज से यह पिछड़ जाती है। इसलिए यदि आप कुछ समय, जैसे कि 5 वर्ष के लिए निवेश करना चाहते हों, तो एन.एस.एसी. एक अच्‍छा विकल्‍प है, किन्‍तु यदि आप लम्‍बे समय के लिए अपना पैसा निवेश करना चाहते हों, तो ऐसे में पी.पी.एफ. ही सर्वोत्‍तम विकल्‍प है।

जानिए क्या है सुकन्या समृद्धि योजना- कैसे लें योजना का लाभ और टैक्स का भी लाभ

जानिए क्या है सुकन्या समृद्धि योजना- कैसे लें योजना का लाभ और टैक्स का भी लाभ

◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆

भारत में गिरता लिंगानुपात हर वर्ग के लिए चिंता का विषय बन चुका है। महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य जरूरतों के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने सुकन्या समृद्धि योजना की शुरुआत की है।
सुकन्या समृद्धि योजना का उद्देश्य बेटियों की पढ़ाई और उनकी शादी पर आने वाले खर्च को आसानी से पूरा करना है। योजना के अंतर्गत बेटी की पढ़ाई व शादी के लिए डाक विभाग के पास ‘सुकन्या समृद्धि योजना’ का अकाउंट खुलवाया जा सकता है। डाक विभाग के किसी भी पोस्ट ऑफिस के साथ अकाउंट खोलने के लिए सुविधा सेंटर में भी अलग काउंटर खुलेगा। यहां जरूरी डॉक्यूमेंट्स जमा कराने के बाद अकाउंट खुलया जा सकेगा।

यह है योजना:

* सुकन्या समृद्धि योजना अकाउंट में बेटी के नाम से एक साल में 1 हजार से लेकर 1 लाख पचास हजार रुपए जमा कर सकता है।

* यह पैसा अकाउंट खुलने के 14 साल तक ही जमा करवाना होगा और यह खाता बेटी के 21 साल की होने पर ही मैच्योर होगा।

* योजना के नियमों के अंतर्गत बेटी के 18 साल के होने पर आधा पैसा निकलवा सकते हैं।

* 21 साल के बाद खाता बंद हो जाएगा और पैसा पालक को मिल जाएगा।

* अगर बेटी की 18 से 21 साल के बीच शादी हो जाती है तो अकांउट उसी वक्त बंद हो जाएगा।

* अकाउंट में अगर पेमेंट लेट हुई तो सिर्फ 50 रुपए की पैनल्टी लगाई जाएगी।
×

* पोस्ट ऑफिस के अलावा कई सरकारी व निजी बैंक भी इस योजना के तहत खाता खोल रही हैं।

* सुकन्या समृद्धि योजना के तहत खातों पर आयकर कानून की धारा 80-जी के तहत छूट दी जाएगी।

* पालक अपनी दो बेटियों के लिए दो अकाउंट भी खोल सकते हैं।

* जुड़वां होने पर उसका प्रूफ देकर ही पालक तीसरा खाता खोल सकेंगे। पालक खाते को कहीं भी ट्रांसफर करा सकेंगे।

योजना के अंतर्गत 2015 में कोई व्यक्ति 1,000 रुपए महीने से अकाउंट खोलता है तो उसे 14 साल तक यानी 2028 तक हर साल 12 हजार रुपए डालने होंगे। मौजूदा हिसाब से उसे हर साल 8.6 फीसदी ब्याज मिलता रहेगा तो जब बच्ची 21 साल की होगी तो उसे 6,07,128 रुपए मिलेंगे। गौर करने वाली बात यह है कि 14 सालों में पालक ने अकाउंट में कुल 1.68 लाख रुपए ही जमा करने पड़े। बाकी के 4,39,128 रुपए ब्याज के हैं।

योजना के लिए आवश्यक दस्तावेज:

* बच्ची का जन्म प्रमाणपत्र
* एड्रेस प्रूफ
* आईडी प्रुफ

Thursday 23 February 2017

विजिलेंस हेल्प नंबर

😈

उत्तर प्रदेश राज्य के अन्तर्गत किसी भी विभाग मे यदि कोई सरकारी अधिकारी/कर्मचारी रिश्वत मागे तो उसके उक्त काली करतूत का सप्रमाण(मोबाइल-वीडिओ/वाइस-रिकार्ड/फोटोग्राफ्स या कोई अन्य) सशक्त माध्यम के रूप मे निम्न पते/फैक्स/मेल पर भेजे अथवा रन्गे-हाथ पकडवाये।

*U. P. VIGILANCE ESTABLISHMENT*
*T.C.V. 44 Vibhutikhand, Gomati Nagar Lucknow – 226010*

Fax : 0522 – 2304937
Website:http://vigilance.up.nic.in/
e-mail : vigestt*

TELEPHONE NUMBERS

Sunday 19 February 2017

एरियर के कारण कट रहे इनकम टैक्स को बचाएं : फॉर्म 10 E भरकर : क्यों और कैसे?

एरियर के कारण कट रहे इनकम टैक्स को बचाएं : फॉर्म 10 E भरकर : क्यों और कैसे?

एरियर के कारण कट रहे इनकम टैक्स को बचाएं : फॉर्म 10 E भरकर : क्यों और कैसे?

यदि आपको इस वर्ष नियमित वेतन आय के साथ बकाया (एरियर) के रूप में पिछले वर्षों का वेतन भी प्राप्त हुआ हो तो आपको टैक्स के रूप में बहुत बड़ी रकम चुकानी पड़  सकती है।  यह पैसा सेलरी खाते में टैक्सेबल है। पर चूंकि शिक्षकों को इसके बारे में पता नहीं था, इसलिए उनको कुछ राहत मिल सकती है। इसके लिए इनकम टैक्स की धारा 89(1) का फायदा मिल सकता है। पर ये सेक्सन बहुत ही जटिल है। इसमें सीधे-सीधे कोई हिसाब लगाना मुश्किल है। फिर भी बचत का रास्ता निकल आता है।

शिक्षकों  को जो एरियर एकमुश्त मिल रहा है, वो उनकी आय को एकदम से बढ़ा देगा। इस वजह से टैक्स की देयता बहुत बढ़ जाती है। पर इसमें शिक्षकों  की कोई गलती नहीं है। दरअसल ये वो पैसा है, जो सरकार को बहुत पहले दे देना चाहिए था। मगर इसका भुगतान अब एक साथ किया जा रहा है। इसीलिए कानून में इससे बचने के लिए कुछ इंतजाम भी किए गए हैं।

एरियर को किस वर्ष की आय माना जाएगा? क्या इसे इसी वर्ष की आय मानकर कर निर्धारण होगा या जिस वर्ष के लिए मिला है उसी वर्ष की आय मानकर लागू किया जाएगा ? ऐसे प्रश्नों के जवाब यह है कि  मिलने वाले एरियर को इसी वर्ष की आय मानकर कर निर्धारण किया जाएगा।  चूंकि एरियर मिलने का समय तय नहीं होता है इसलिए उसे उसी समय की आय माना जाता है जिस समय वह कर्मचारी को मिलता है।

कैसे बचाएं धारा 89 (1) से कर

क्या आयकर अधिनियम की धारा 80 (1) के तहत मिलने वाले एरियर पर टैक्स में छूट मिल सकती है?  जब इसकी पड़ताल की गई तो पता चला कि हां आप धारा (1) के तहत मिलने वाले एरियर पर टैक्स छूट के लिए दावा कर सकते हैं। सेक्शन 89 (1) के तहत शिक्षक भाई  कर के बोझ को कम कर सकते हैं। सवाल यह है  कि कैसे किया जाएगा कर निर्धारण और कैसे लागू किया जाएगा धारा 89 (1) को। बताते चले  कि इसके तहत टैक्स को दो हिस्सों में तय किया जाता है। पहला टैक्स निर्धारण आपकी आय और होने वाली अतिरिक्त आय को जोड़कर किया जाता है। दूसरे हिस्से को तय करने के लिए कुल आय में एरियर को जोड़ा जाता है। इन दोनों आय के अंतर के बराबर टैक्स में छूट दी जाती है। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि अगर किसी करदाता की आय में मिलने वाले एरियर के मुताबिक वेतन बढ़ जाता है तो उसे अतिरिक्त टैक्स का भुगतान करना होता है।

मान लीजिए छठे वेतन आयोग के मुताबिक वेतन बढ़ने से पहले उसे 10000  रुपए बतौर टैक्स देना होता था और आयोग की सिफारिशों के लागू होने पर 11500  रुपए टैक्स देना पड़ेगा। अब दो साल के एरियर के मुताबिक उसे यह अतिरिक्त टैक्स चुकाना पड़े तो आयकर अधिनियम की धारा 89 (1) के तहत उसे इस अतिरिक्त टैक्स राशि का भुगतान नहीं करना होगा। मान लीजिए शिक्षक पद पर कार्यरत मास्साब  को चालू वित्त वर्ष में बतौर एरियर 2 लाख रुपए मिलते हैं।विभाग  ने यह एरियर उसे पिछ्ले वर्ष के बकाया वेतन/भत्तों  के तौर पर दिया है। अब मान लीजिए मास्साब  को अपने वेतन के मुताबिक 2,00,000 रुपए पर टैक्स का भुगतान करना होता है। मगर मिले हुए इस एरियर  के कारण उसकी कर योग्य आय बढ़कर 2,40,000 रुपए हो गई है। इस बड़ी हुई एरियर आय को उनके वास्तविक वर्षों के अनुसार विभाजित करते हुए तत्समय इनकम स्लैब के अनुसार कर की गणना करते हुए इस एरियर को यदि उन वर्षों में समाहित कर लें तो उन वर्षों में बची हुई स्लैब के रकम से कर बचत की जा सकती है।
  भरे 10 ई फॉर्म
आपकी सहूलियत के लिए हमने केवल एक साल के एरियर के मुताबिक गणना समझाई है। हालांकि वास्तविकता में ऐसा हो सकता है कि आपको कई साल का एरियर मिला हो। ऐसी स्थिति में हर साल का अगल-अलग टैक्स निकालकर आप वास्तविक और अतिरिक्त टैक्स राशि पता कर सकते हैं। सबसे महत्वपूर्ण है कि धारा 89 (1) के तहत मिलने वाली टैक्स छूट के कारण आपकी अंतिम टैक्स राशि भी कम हो जाती है। इसके साथ ही इससे आपके वेतन का टीडीएस भी कम हो जाता है। हर शिक्षक  को अपने विभाग  को फॉर्म 10 ई के जरिए कम टीडीएस काटने की जरूरत के बारे में बता देना चाहिए। फॉर्म 10 ई को सीधे यहाँ से डाउनलोड कर सकते हैं या नीचे बिना भरे फॉर्मेट हैं उनको सीधे प्रिंट कर प्रयोग में ला सकते हैं। फॉर्म में कहाँ क्या भरना है यह जानने के लिए आप उन्हें क्लिक करके लाल और नीले रंग के सहायता से समझ सकते हैं कि  किन कालमों में क्या भरा जाना है?

( समझाए जाने हेतु  फॉर्म 10 ई का प्रथम पृष्ठ ..... क्लिक करके इसे पूरा खोले और फिर पढ़ कर सादा फॉर्म  करें )