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Wednesday 30 November 2016

सातवें वेतन समिति की रिपोर्ट तैयार, सीएम से मांगा समय रिपोर्ट पर अगले माह लगेगी कैबिनेट की मुहर ,नए साल में मिल सकता है बढ़े वेतनमान का तोहफा

सातवें वेतन समिति की रिपोर्ट तैयार, सीएम से मांगा समय रिपोर्ट पर अगले माह लगेगी कैबिनेट की मुहर ..
नए साल में मिल सकता है बढ़े वेतनमान का तोहफा

राज्य ब्यूरो, लखनऊ : सूबे के 21 लाख कर्मचारियों और पेंशनरों को सातवें वेतन आयोग की सौगात जल्द मिलने की उम्मीद है। सातवें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों को प्रदेश के विभिन्न वर्गों के कर्मचारियों पर लागू करने के बारे में विचार करने के लिए गठित राज्य वेतन समिति ने अपनी पहली रिपोर्ट तैयार कर ली है। समिति के अध्यक्ष जी.पटनायक ने रिपोर्ट सौंपने के लिए मुख्यमंत्री से समय मांगा है। संभावना है कि समिति की रिपोर्ट मुख्यमंत्री को इसी महीने सुपुर्द कर दी जाएगी। सूत्रों के मुताबिक, रिपोर्ट में विभिन्न वर्गो के कर्मचारियों के लिए प्रस्तावित सातवें वेतन के ढांचे को केंद्र सरकार के समतुल्य रखा गया है। राज्य वेतन समिति की रिपोर्ट मिलने के बाद सरकार इस पर अगले माह कैबिनेट की मुहर लगवाएगी। सरकार को यह तय करना होगा कि रिपोर्ट की सिफारिशों को कब से लागू करना है। चुनावी वर्ष होने के कारण माना जा रहा है कि सरकार जल्दी से जल्दी कर्मचारियों को सातवें वेतन की सौगात देना चाहेगी। संभावना जतायी जा रही है कि सरकार नये साल की शुरुआत यानी जनवरी में कर्मचारियों को यह तोहफा दे सकती है। राज्य सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष के बजट में कर्मचारियों को सातवें वेतन के भुगतान के लिए धनराशि की व्यवस्था की है। चूंकि सातवें वेतन की सिफारिशें पहली जनवरी, 2016 से लागू होनी हैं, लिहाजा सरकार को कर्मचारियों को दिये जाने वाले एरियर के भुगतान की प्रक्रिया भी तय करनी होगी। छठवें वेतनमान के समय राज्य सरकार ने कर्मचारियों को एरियर का भुगतान तीन वार्षिक किस्तों में किया था। पहली किस्त में कुल एरियर का 20 प्रतिशत और बाकी दो किस्तों में 40-40 फीसद का भुगतान हुआ था। चूंकि भत्ताें को लेकर केंद्रीय आयोग ने कोई सिफारिश नहीं की है, लिहाजा राज्य वेतन समिति ने भी अपने पहली प्रतिवेदन में इस पर चुप्पी साधी है। वैसे राज्य कर्मचारियों को महंगाई भत्ता भी केंद्रीय कार्मिकों के समतुल्य मिलता है।

Sunday 27 November 2016

 रद्दी हो गए 4.5 लाख टीईटी/ UPTET 2011 सर्टिफिकेट, वैधता समाप्ति के साथ उपयोगिता ख़त्म  

 रद्दी हो गए 4.5 लाख टीईटी/ UPTET 2011 सर्टिफिकेट, वैधता समाप्ति के साथ उपयोगिता ख़त्म  

सुप्रीम कोर्ट की टीम के सामने रोया बजट का रोना

सुप्रीम कोर्ट की टीम के सामने रोया बजट का रोना

जासं, इलाहाबाद : सरकार स्वच्छता पर फोकस कर रही है। सरकारी स्कूल स्वच्छता से कोसो दूर हैं। बजट न होने
जासं, इलाहाबाद : सरकार स्वच्छता पर फोकस कर रही है। सरकारी स्कूल स्वच्छता से कोसो दूर हैं। बजट न होने से प्रधानाध्यापक शौचालय की सफाई नहीं करा रहे हैं। अगर करा भी रहे हैं तो प्रधानाध्यापक व्यक्तिगत स्तर से करा रहे हैं। शुक्रवार को शौचालय व पेयजल की हकीकत देखने निकली सुप्रीमकोर्ट द्वारा गठित टीम के समक्ष शिक्षकों ने बजट का रोना रोया। दो सदस्यीय टीम ने दो ब्लाक समेत नगर क्षेत्र के 20 स्कूलों का निरीक्षण किया। इस दौरान स्कूलों में मिड डे मील, पाठय पुस्तकों की उपलब्धता व शौचालय की साफ सफाई देखी। टीम को दिखाने के लिए शौचालय साफ सुथरे कराए गए थे।

टीम सदस्य और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक गुप्ता व गौरव अग्रवाल ने नगर क्षेत्र के एलनगंज प्राथमिक व जूनियर स्कूल का निरीक्षण किया। टीम ने मिड डे मील रजिस्टर, शिक्षक व बच्चों की उपस्थिति रजिस्टर की पड़ताल की। स्कूल में बने शौचालय व पेयजल व्यवस्था देखी। इसके बाद टीम पुराना कटरा प्राथमिक व जूनियर स्कूल पहुंची। टीम सदस्य गौरव अग्रवाल ने सहायक शिक्षिका स्मिता श्रीवास्तव से पूछा कि शौचालय की सफाई कैसे कराती हैं। बताया कि शौचालय सफाई मद में बजट नहीं है। व्यक्तिगत धन से शौचालय सफाई कराई जाती है। पेयजल के संबंध में पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि हैंडपंप से बच्चे पानी पीते हैं। यहां पर टीम करीब पंद्रह मिनट शिक्षकों से मिड डे मील, पाठय पुस्तक समेत कई बिंदुओं पर बातचीत की। इसके बाद टीम धूमनगंज स्थित प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालय हरवारा पहुंची। टीम को देखते ही कक्षाओं के बाहर गपशप करतीं शिक्षिकाएं अपनी-अपनी कक्षाओं में चली गई। स्कूल में मच रहा बच्चों का कोलाहल शांत हो गया। टीम ने शौचालय व पेयजल व्यवस्था देखी। टीम के सदस्य और वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने प्रधानाध्यापिका गीता देवी त्यागी से पूछा कि शौचालय की सफाई कब - कब कराती हैं। उन्होंने तपाक से जवाब दिया कि सर प्रतिदिन सफाई कराई जाती है। उन्होंने टीम के सदस्य गौरव अग्रवाल से शौचालय की सफाई देखने को कहा। उन्होंने बताया कि शौचालय साफ नहीं है। इस पर सीनियर अधिवक्ता ने कहा कि मैडम आप तो कह रही थीं कि प्रतिदिन सफाई कराई जाती है। मैडम ने जवाब दिया कि सर इतने बच्चे हैं, गंदा हो जाता है। सीनियर अधिवक्ता ने पूछा कि किस मद से शौचालय सफाई कराती हैं। इस पर उन्होंने बताया कि व्यक्तिगत पैसे से सफाई कराई जाती है। परिसर में खड़ी पांच महिलाओं के बारे में सीनियर अधिवक्ता ने पूछा तो उन्हें एडी बेसिक रमेश कुमार ने बताया कि यह रसोइया हैं। पूछताछ में प्रधानाध्यापिका ने बताया कि प्राथमिक में 133 बच्चे हैं और पूर्व माध्यमिक कन्या में 103 छात्राएं पंजीकृत हैं। आपस में टीम ने बातचीत करते हुए कहा कि शौचालय की सफाई में सबसे बड़ी बाधा बजट है। इसके बाद टीम वहां से रवाना हो गई। टीम के जाने के बाद शिक्षिकाओं ने राहत की सांस ली। टीम ने फाफामऊ प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूल का निरीक्षण कर शौचालय व पेयजल सुविधा की पड़ताल की।

इधर, टीम ने मऊआइमा ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय बड़गांव प्रथम व द्वितीय और पूर्व उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बड़गांव की हकीकत देखी। मिड डे मील की परिवर्तन लागत और बच्चों को मिलने वाली सुविधाओं के बारे में शिक्षकों से बातचीत की। इसके बाद प्राइमरी जमुई पहुंचकर सुविधाओं की पड़ताल की। प्राथमिक विद्यालय बड़गाव प्रथम के प्रधानाध्यापक कृष्ण कुमार गिरि, प्राइमरी द्वितीय की प्रधानाध्यापिका जय लक्ष्मी, बड़गांव जूनियर की प्रधानाध्यापिका ऊषा मौर्य और प्राथमिक विद्यालय जमुई की प्रधानाध्यापिका उर्मिला देवी व जूनियर की प्रधानाध्यापिका गौसिया सुल्ताना ने टीम को बताया कि शौचालय की साफ सफाई मद में कोई बजट नहीं होने से व्यक्तिगत खर्च से कराना पड़ता है। टीम ने कहा कि राजस्व गांवों में तैनात सफाई कर्मी यदि प्रतिदिन विद्यालयों में सफाई कर दें तो शौचालय सफाई की समस्या दूर हो सकती है। टीम ने इस समस्या को सुप्रीमकोर्ट के समक्ष रखने का शिक्षकों को आश्वासन दिया।

टीम ने सोरांव ब्लाक क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय हरिरामपुर, प्राथमिक विद्यालय विशुनदास का पुरा, प्राथमिक विद्यालय थरवई व जूनियर और प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूल मटियारा का निरीक्षण किया। टीम के सदस्य और सुप्रीमकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक गुप्ता ने बताया कि स्कूलों के शौचालय व पेयजल समेत कई बिंदुओं पर शिक्षकों से बातचीत की गई है। सुप्रीमकोर्ट को 28 नवंबर को रिपोर्ट सौंपी जाएगी।

शिक्षकों ने अपने वेतन से विद्यार्थियों को बांटे गर्म कपड़े

शिक्षकों ने अपने वेतन से विद्यार्थियों को बांटे गर्म कपड़े

जागरण संवाददाता मुरादाबाद : पूर्व माध्यमिक विद्यालय बूजपुर आशा विकास खंड मूढ़ापांडे में शुक्रवार को विद्यार्थियों को गर्म कपड़ों का वितरण किया गया। प्रधानाध्यापक कुसुम देवी व अन्य शिक्षकों ने अपने वेतन से गर्म कपड़ों की खरीदारी की थी। मुख्य अतिथि खंड शिक्षा अधिकारी अकीला आदिल ने कहा कि शिक्षकों ने ऐसा करके समाज के सामने एक मिशाल पेश की है। धनाढ्य वर्ग के लोगों को इनसे सीख लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि गुणवत्ता युक्त शिक्षा प्रदान करने के लिए हमें नि:स्वार्थ भाव से गरीब बच्चों की मदद करनी चाहिए, ताकि शिक्षित समाज के निर्माण में सहयोग हो सके। प्रधानाध्यापक कुसुम देवी ने कहा कि इन विद्यार्थियों को हमें अपने बच्चों की तरह ही देखना चाहिए। विद्यार्थियों के विकास से ही शिक्षकों को असली पुरस्कार मिलता है। शिक्षिका रश्मि भारद्वाज, गीतारानी, इकराम अहमद खां ने सहयोग किया।

अकेडमिक vs टेट पर हिमांशु राणा का बयान

Himanshu Rana with Amit Singh and Durgesh Pratap Singh in Bangkok, Thailand. >>>>


मिडिल भर्ती पर होने वाले आदेश पर विचारणीय बिंदु :-

1 ) एकल पीठ में 2013 में जब इस भर्ती का विज्ञापन निकला था तब सरकार समस्त संशोधनों को रद्द करके अपने संशोधनों पर नए विज्ञापन विज्ञापन को बचा रही थी लेकिन पूर्ण पीठ का आदेश आ गया था तो एकल पीठ की संभवतः ये प्रार्थना रही होगी :-

*टेट मेरिट बन जाए (इसके चांसेस बहुत ही कम है क्यूंकि एकल पीठ में रिट करने वाला व्यक्ति डीबी में भी ये प्रेयर नहीं किया था वो भारांक की प्रेयर किये थे जबकि आज भी संघर्षत 150 /2013 के मुख्य वादी की रिट पर हुआ जो आजतक जिन्दा है) |

*भारांक दिया जाए जैसा कि उपरोक्त स्पष्ट रूप में बता ही चूका हूँ |

*विज्ञापन रद्द कर दिया जाए |

एकल पीठ का निर्णय मा० न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल जी की बेंच से आया जिन्होंने 15 या 16 , 15,16 , 15 और 16 (जो जैसे पढना चाहे वैसे हांक ले) रद्द कर दिए और ये कहा कि इतनी रिक्तियां हैं भरो |

फिलहाल इसे माना गया टेट मेरिट बन गयी , चलो ठीक है |

2 ) स्पेशल अपील हुई एकल पीठ के निर्णय के विरोध में :-

इसमें दो बातें अगर स्पेशल अपील allow नहीं है तो एकल पीठ के निर्णय पर मुहर लगाकर ख़ारिज किया जाता स्पेशल अपील को और अगर allow की गई हैं तो उस पर सुनवाई होगी पॉइंट टू पॉइंट तभी निर्णय रिज़र्व रखा जाएगा , जैसा कि 72825 में हुआ था , स्पेशल अपील करने वालों को याद होगा |

मेरी भी एक याचिका इसमें लंबित थी 16322/2016 जिसे ख़ारिज किया गया है जिसकी प्रार्थना ये ही थी कि 15 , 16 रद्द है बिना भारांक के भर्ती नहीं हो सकती है और आजतक जितनी भी हुई हैं सभी असंवैधानिक हैं , यानी कि याचिका की प्रेयर और एकल पीठ के निर्णय में समानता है तो फिर अगर याचिका रद्द हुई है तो क्या एकल पीठ का निर्णय रद्द हुआ है , क्या स्पेशल अपील allow हो गई है ?
फिलहाल तो देखने वाली बात आदेश आने पर पता चलेगी परन्तु ये साफ़ है अगर स्पेशल अपील allow हुई होगी तो अब अकादमिक जिनकी 80000 से अधिक भर्तियाँ हो चुकी है और टेट मेरिट पर भर्ती जिनके 60000 से अधिक पद मा० सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर भरे जा चुके हैं आमने सामने रहेंगे और चूंकि अब वाकई मुद्दा लगभग साढ़े चार लाख से अधिक पदों का हो गया है तो संवैधानिक पीठ बने |

भविष्य के गर्त में क्या है ये तो कह नहीं सकते हैं लेकिन अगर संवैधानिक पीठ गठित भी हुई तो question of law क्या होंगे क्यूंकि ललित साहब तो पहले ही खुद advocate general रणजीत कुमार जी से कुबुलवा ही चुके हैं भारांक के लिए लेकिन क्या एनसीटीई द्वारा जो कि शिक्षक रखने के लिए न्यूनतम अहर्ता के मापदंड को तय करती है तो क्या वो शिक्षकों के चयन में भी 9 b को स्टेट पर थोप सकती है ?

फिलहाल तो अब देखने वाली बात एक बार फिर होगी कि जीतेगा कौन जो अभी साल-डेढ़ साल की सैलरी मा० सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर लिए हैं या जो लगभग तीन वर्षों से सैलरी प्राप्त कर रहे हैं फिलहाल इस भीड़ में अब शिक्षा मित्रों का जाना तय है जो कि अब एनसीटीई के भारांक वाले कार्यक्रम में फंसेंगे और उनके अधिवक्ता स्वयं बताएँगे कि lordship हम किस चीज़ का भारांक दें 15 वर्षों का या ????????

Saturday 26 November 2016

नौनिहालों की शिक्षा का ‘आधार’ तय करेगी सीबीएसई

नौनिहालों की शिक्षा का ‘आधार’ तय करेगी सीबीएसई

डिजिटल इंडिया के अंतर्गत पूरे सिस्टम को ऑनलाइन करने की दिशा में तेजी से बढ़ रही केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने ऑनलाइन एफिलिएटेड स्कूल इंफॉर्मेशन सिस्टम (ओएसिस) को लागू कर दिया है। इसके अंतर्गत जहां स्कूलों से करीब डेढ़ सौ वर्गो में पूरी जानकारी ऑनलाइन मांगी जा रही है, वहीं सीबीएसई चेयरमैन राजेश कुमार चतुर्वेदी ने स्पष्ट कर दिया है कि शिक्षण व्यवस्था को पूरी तरह से पारदर्शी बनाने और कार्यालयों में ‘पेपर लेस’ कार्यवाही के लिए हर स्कूल को यह जानकारियां सीबीएसई को मुहैया करानी होंगी। शांति निकेतन विद्यापीठ में गुरुवार को शुरू हुए चार दिवसीय सीबीएसई नॉर्थ जोन बैडमिंटन चैंपियनशिप 2016 का शुभारंभ करने पहुंचे राजेश कुमार चतुर्वेदी ने सीबीएसई की कई योजनाओं के बारे में विस्तार से बताया।

कक्षा एक से बनेगा आधार डाटा

सीबीएसई आधार मेकिंग सेंटर का रजिस्ट्रार बनने जा रहा है। इस कड़ी में हर सीबीएसई स्कूल को आधिकारिक तौर पर आधार नंबर रजिस्ट्रेशन सेंटर बनाया जाएगा। कक्षा एक में दाखिला लेने वाले बच्चों का आधार डाटा कैप्चर किया जाएगा। यही डाटा उस बच्चे के 10वीं व 12वीं की बोर्ड परीक्षा के अलावा सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में इस्तेमाल किया जाएगा। स्कूल बदलने पर केवल स्कूल कोड अपडेट कराना होगा। केवल पता स्कूल स्तर पर बदला जा सकेगा। बाद में डाटा में परिवर्तन की कोई गुंजाइश नहीं रहेगी।

हर कक्षा पर सीबीएसई की नजर

सीबीएसई से मान्यता मिलने के बाद भी स्कूलों में कक्षा आठवीं तक मनमाने ढंग से किताबें लगाकर पढ़ाया जा रहा है। बोर्ड हर सीबीएसई स्कूल में कक्षा एक से 12वीं तक की गुणवत्ता का निरीक्षण करेगा। स्कूलों में शुरू से ही सीबीएसई द्वारा जारी किताबें ही लगानी होंगी। आठवीं तक की गुणवत्ता खराब होने के कारण ही नौवीं के बाद या उच्च शिक्षा में बच्चों का प्रदर्शन बेहद खराब होता है। मानकों पर खरे न उतरने वाले स्कूल मान्यता से बाहर होंगे।

सीसीटीवी वाले स्कूल ही बनेंगे परीक्षा केंद्र

ओएसिस के अंतर्गत करीब 150 वर्गो में ली जा रही स्कूलों की जानकारी का इस्तेमाल बोर्ड की ओर से परीक्षा में किया जाएगा। बोर्ड परीक्षा केंद्रों का निर्धारण जिला स्तर पर नहीं बल्कि बोर्ड की ओर से ऑनलाइन साफ्टवेयर के जरिए किया जाएगा। साथ ही बोर्ड ने स्पष्ट कर दिया है कि बोर्ड परीक्षा केंद्र उन्हीं स्कूलों को बनाया जाएगा, जहां सीसीटीवी कैमरे लगे होंगे।

सर्टिफिकेट के डाटा नहीं बदले जाएंगे

सीबीएसई चेयरमैन ने स्पष्ट कर दिया है कि बोर्ड के पास वर्तमान में व्याप्त करीब 37 हजार परिवर्तन आवेदनों में कोई कार्रवाई नहीं होगी। बच्चों की उम्र घटाने-बढ़ाने के खेल को बंद करने के लिए ही ओएसिस के अंतर्गत बोर्ड परीक्षा फार्म में माता-पिता के हस्ताक्षर कराए जा रहे हैं, जिससे बाद में नाम में कोई परिवर्तन न किया जा सके। ऐसे परिवर्तन अक्सर गैर कानूनी इस्तेमाल के लिए कराए जा रहे हैं।

प्रतियोगी परीक्षा में लगेंगे अंगूठे

नीट, नेट, जेई्रई, मेडिकल जैसी तमाम प्रतियोगी परीक्षाओं में फर्जी अभ्यर्थियों को रोकने के लिए सीबीएसई के सभी 1600 परीक्षा केंद्रों पर अब परीक्षार्थियों का एडमिट कार्ड चेक करने की बजाय उनके अंगूठे का स्कैन किया जाएगा। यह स्कैन स्कूलों में बने आधार से मिलान किया जाएगा। अभ्यर्थी सही होने पर ही उसे परीक्षा में बैठने की इजाजत मिलेगी।

तीन दिन में मिलेगा रिजल्ट

प्रतियोगी परीक्षा के केंद्रों पर अब अभ्यर्थियों के ओएमआर स्कैन कर ऑनलाइन सिस्टम के जरिए डाटा सीबीएसई तक पहुंचेगा। विशेष साफ्टवेयर से ओएमआर स्कैन कर रिजल्ट तैयार किया जाएगा। तीन दिन के बाद परीक्षार्थी का ओएमआर और सर्टिफिकेट की एक कॉपी उसके डिजिटल लॉकर में रखे दिए जाएंगे। हर परीक्षार्थी तीन दिन बाद स्वयं ही अपने रिजल्ट डिजिटल लॉकर में देख व प्रिंट कर सकेंगे।

2018 में 10वीं की बोर्ड परीक्षा

दसवीं में स्कूल बेस्ड को हटाकर बोर्ड बेस्ड किए जाने की अटकलों पर सीबीएसई चेयरमैन ने स्पष्ट कर दिया कि इस वर्ष नौवीं में पढ़ रहे छात्र साल 2018 में बोर्ड परीक्षा में शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि समय-समय पर नए विषय लागू किए जाने की दिशा में सीबीएसई मूल शिक्षा से विमुख हो गई है। बच्चों की मूल शिक्षा के साथ मूल्यों की शिक्षा पर ध्यान देने की जरूरत है। अंग्रेजी विषय में 90 या 100 नंबर पाने वाले बच्चों की खराब गुणवत्ता पर चेयरमैन ने कहा कि इसके जिम्मेदार शिक्षक व प्रधानाचार्य हैं, जिन्होंने अपने स्कूल के नंबर बढ़ाने की होड़ में अधिक से अधिक नंबर देने शुरू किए। इसे सुधारना भी स्कूलों को ही पड़ेगा।

*अब कैसे भरे जाएंगे तीन हजार शिक्षकों के पद, विज्ञान-गणित शिक्षक के तीन हजार पद अभी भी खाली, शिक्षक बनने के अर्ह युवाओं का टीईटी-2011 का प्रमाणपत्र अब वैध नहीं*

अब कैसे भरे जाएंगे तीन हजार शिक्षकों के पद, विज्ञान-गणित शिक्षक के तीन हजार पद अभी भी खाली, शिक्षक बनने के अर्ह युवाओं का टीईटी-2011 का प्रमाणपत्र अब वैध नहीं

इलाहाबाद : बेसिक शिक्षा परिषद के उच्च प्राथमिक विद्यालयों में विज्ञान-गणित शिक्षक के तीन हजार पद खाली हैं, लेकिन अब इन पदों पर काबिज होने का दावेदार कोई नहीं है।

वजह यह है कि शिक्षक बनने के अर्ह युवाओं 
का टीईटी-2011 का प्रमाणपत्र अब वैध नहीं रहा। विभागीय अफसरों की अनदेखी से बड़ी संख्या में युवाओं के हाथ से मौका फिसल गया है। अब यह पद कैसे भरे जाएंगे इसका वाजिब जवाब भी किसी के पास नहीं है। प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में इधर के वर्षो में बड़ी संख्या में शिक्षकों की भर्तियां हुई हैं। इससे सभी वाकिफ हैं, वहीं इसे भी झुठलाया नहीं जा सकता कि प्रदेश के लाखों युवाओं को भर्ती में मौका न मिलने से निराश भी होना पड़ रहा है। सैकड़ों युवा न्यायालयों में याचिका दायर करने के बाद न्याय मिलने की उम्मीद में दौड़ लगा रहे हैं। वहीं दावेदारों के एक बड़े वर्ग को शुक्रवार को बड़ा झटका लगा, जब उनकी अर्हता का अहम प्रमाणपत्र टीईटी-2011 की वैधता खत्म हो गई। तमाम भर्तियों में दावेदार बने युवा एक ही झटके में रेस से बाहर हो गए हैं। प्रदेश के उच्च प्राथमिक स्कूलों में विज्ञान-गणित 29334 शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई। सात चरणों की काउंसिलिंग में बड़ी संख्या में पद भी भरे गए, लेकिन अब भी करीब तीन हजार से अधिक सीटें खाली हैं। युवाओं को उम्मीद थी कि इन पदों पर शिक्षक बनने का उन्हें मौका मिलेगा, लेकिन आखिरकार उम्मीद टूट गई है। 1इस भर्ती की तमाम विसंगतियों को लेकर उसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी, कुछ दिन पहले ही कोर्ट ने विभागीय अफसरों से खाली सीटें भरने के लिए आठवीं काउंसिलिंग कराने को दो माह का वक्त दिया गया है। इस पर फैसला होने से पहले ही युवा अर्हता प्रमाणपत्र के चलते बाहर हो गए हैं। अब यह पद कैसे भरे जाएंगे, इस संबंध में विभागीय अफसर कुछ कहने को तैयार नहीं है।

सुनवाई के याचियों को मिले लाभ :

शिक्षक पात्रता परीक्षा 2011 के तमाम अभ्यर्थी भर्ती में विसंगतियों को लेकर न्यायालय में याचिका दायर किए हैं। युवाओं का कहना है कि उनका प्रमाणपत्र भले ही आज से अवैध हो गया है, लेकिन यदि निर्णय उनके पक्ष में आता है तो इसी प्रमाणपत्र को आधार मानते हुए लाभ दिया जाए। कोर्ट में याची बने युवाओं की तादाद काफी अधिक है।

*आदेश-* 26 नवम्बर 2016 को विद्यालयों में *संविधान दिवस* मनाये जाने के सम्बन्ध में शिक्षा निदेशक का आदेश

*आदेश-*
26 नवम्बर 2016 को विद्यालयों में *संविधान दिवस* मनाये जाने के सम्बन्ध में शिक्षा निदेशक का आदेश

Thursday 24 November 2016

Jrt case: आज की सुनवाई का विवरण 3

Jrt Case:- आज की सुनवाई का विवरण 2

मोर्चा परिवार लीगल टीम 
✍🏻... दीपक शर्मा 
आज दिनांक 24/11 /2016 की सुनवाई जैसे ही शूरू हुई... देखा तो जूनियर जज सुप्रीम कोर्ट का सिविल अपील 4347-4375 का 2/11/2015 का आदेश लेकर आ रहे हैं,,, सीजे साहब ने कहा कि मेरे जूनियर साथी ने साइट से आदेश निकाला है.. बहुत खूब... विरोधी की चाल को हमे समझने में समय नही लगा... कल दिनांक 23/11 /2016 को 3:00 pm से 4:00pm तक जो विरोधियों का पोस्टमार्टम किया था हमारे सीनियर वकील H. n singh जी ने,,, ये खेल वही से शुरू हो गया था,,, हम आशंकित थे कि विरोधी भागेंगे,,, क्योंकि इधर कुआ उधर खाई की स्थिति वन गई थी उनके लिए,,,,, आर्डर रिजर्व... पर सब कुछ कह दिया गया कि No finding will be there... and every case has disposed of...,,,, 
पाठक नेता जी का face की flip flops देखने लायक थी,,,, 
सुप्रीम कोर्ट के फाइनल आदेश तक हाई कोर्ट के सारे केस साईन डाई,,,,, 
सभी जूनियर शिक्षकों का इंटरेस्ट पूरी तरह प्रोटेक्टेड है उनके खिलाफ कोर्ट ने किसी भी प्रकार के स्टे या कार्यवाही के लिए मना कर दिया।,,,..... शिव कुमार पाठक और उसके साथियों के द्वारा फाइल की गयी सभी रिटों और अपील टेट वेटेज की मांग की गयी थी, देने से मना कर दिया.... 
,,,, शिव कुमार पाठक के द्वारा याची और चाची लाभ पाने के लिए सैकड़ों लोगों द्वारा फाइल की गयी रिट्स को लाभ देने से मना कर दिया सभी याचियों का पैसा बेकार।,,,,, NCTE की सभी क्लॉज़ व् guidlines वैधता निरस्त करने से मना किया क्योंकि कोर्ट में issue नंबर 4 पर ncte की वैधता सम्बंधित प्रश्न निस्तारण हेतु लंबित है।,,,,,,, 
🔵महत्वपूर्ण सूचना... 
6 फरवरी की सुनवाई तिथि सुप्रीम कोर्ट में slp 18393 /2016 Deepak Sharma Vs मूल विवाद का केस महत्वपूर्ण... 
🚩🚩
drawing के पन्नो में हम ही रंग भरेगें... 
धन्यवाद,,,,,

Jrt case: आज की सुनवाई का विवरण

23/11/2016 की सुनवाई माननीय सी जे साहब ने ठीक 2 बजे शुरू कर दिया टेट पक्ष सुनने के बाद अब अकादमिक पक्ष को अपनी बात रखनी थी जिसमे मुख्यता आरंभ से श्री H N Singh साहब ने बात रखना शुरू किया बहस के मुख्य बिंदु इस प्रकार है।

1. 12वां संसोधन बताया गया टेट में घपला हाई पावर कमिटी रिपोर्ट और कोर्ट के फैसले के बाद पैदाहुए 15वां संशोधन को बताया गया फिर 16वें संशोधन को बताया गया। जज साहब ने पूछा 12वां संसोधन अस्तित्व में नहीं है 15वां डबल जज बेंच 20/11/13 के अनुसार निरस्त है जो सुप्रीम कोर्ट में लंबित है 16वां नॉन workable है तो ऐसे स्थिति में वकील साहब का क्या मानना है । स्पस्ट तौर पर ये माना गया कि 12वें से पहले जो स्थिति थी उसका अनुसरण किया जाना चाहिए। किन्तु जज साहब ने ये कहा 12वें से पहले टेट नहीं था और 12वें के बाद सभी अमेण्डमेंडस में टेट अस्तित्व में आया ऐसे में क्या 12वें से पहले वाले अपॉइंटमेंट क्राइटेरिया पर जाना उचित है बहरहाल ये अभी एक पहेली है कि in view of TET introduced can we adopt selection criteria prior to 12th amendment .

2. बात RTE act, 2009 सेक्शन 23, सेक्शन 12 NCTE act 1993, NCTE की पावर्स पर डिटेल आर्गुमेंट हुई जिस , NCTE की guidlines दिनाक 23/08 और 11/2/11 पर बात रखी लेकिन महत्वपूर्ण बात आई RTI में ncte द्वारा दिए गए जवाब की जिसमे "सरकार वेटेज देने के लिए बाध्य नहीं है" उत्तर दिया गया था जिस पर जज साहब के पूछने पर ncte अधिवक्ता ने कहा ऐसा नहीं है, उसने फुल बेंच आर्डर 31/05/2013 शिव कुमार शर्मा का हवाला देते हुए कहा कि सरकार को वेटेज देना चाहिए बाध्यता है जुजे साहब चौंक गए ये कैसे आप rti में कुछ कहते है यहाँ कुछ , पूछ ये किसकी राय है ncte अधिवक्ता ने कहा ये मेरी राय है जज साहब ने कहा यहाँ आपकी राय नहीं चलेगी अपने NCTE से पूंछे ये भी पूंछा की अगर ये RTI जवाब गलत है तो कहीं आपने इसे खंडित किया किसी काउंटर में। ncte अधिवक्ता निरुत्तर थे और जवाब के लिए 7 दिन का समय मांगने लगे। जुजे साहब ने मना कर दिया और कहा कि कोर्ट क्लोजिंग से पहले चाहे fax चाहे whatsaap या मेल से मुझे आप जानकारी दें अन्यथा NCTE के लिए कुछ भी कड़ा आदेश पारित हो सकता है। टेट सुपपोर्टर मायूस हो गए और तभी उन्होंने NCTE द्वारा फाइल किये एक केस में काउंटर की कॉपी दिखाई जिसमे राकेश तोमर द्वारा दिए गए rti के जवाब को खंडित किया गया था। TET साथी अचानक उतसाहित हो गए जैसे उन्हें संजीवनी मिली तभी अकादेमिक के अधिवक्ताओं की तरफ से अभी हाल में september2016 में GONDA के एक मित्र द्वारा फाइल की rti का जवाब भी दिखाया गया जिसमें भी यही उत्तर ncte का था कि सर्कार वेटेज देने के लिए बाध्य नहीं है अब क्या था जज साहब का माथा ठनक गया। NCTE द्वारा rti के जवाब को इंगित करते हुए अपने सह खंडपीठ जज को दिखाते हुए बोले कितनी रफ़ लैंग्वेज प्रयोग की है क्या intention निकलता है । ncte अधिवक्ता से पूछा की rti के जवाब का इंटेंशन सिर्फ ये निकल रहा है कि सर्कार वेटेज देने के लिए बाध्य नहीं आप चाहे यहाँ जो भी कहें। और तुरंत ncte के जवाब के लिए कहा।
यहाँ महत्वपूर्ण बिंदु ये है कि NCTE की छवि बेहद careless संस्था के तोर पर जज साहब के दिमाग में चढ़ी है।

3. H N Singh साहब द्वारा घटनाओं के क्रम में फुल बेंच के आर्डर को भी रीड कराया गया जिसमें पैरा no 86/87/88 पढ़ाया गया. अधिवक्ता साहब ने ये बताने की कोशिश की इस आर्डर में जो नहीं भी मांगी गयी वो चीज़ें वादी को दी गयी इस पर जज साहब ने कहा कि नहीं बहुत सारी बातें during आर्गुमेंट आती है इसमें अगर कोई relevent बात आई बीच में तो उसमें कुछ नया नहीं है। लेकिन महत्वपूर्ण बात ये अंत में जज साहब इस बात की तरफ झुके कि फुल बेंच में की गयी व्याख्या तर्कसंगत नहीं है अंत में बहस कल के adjourn की गयी।
किसी निष्कर्ष पर पहुंचना अभी बेहद मुश्किल है लेकिन जुजे साहब का NCTE के लिए रवैया और फुल बेंच द्वारा दी गयी व्याख्या से असहमत होना जूनियर साथियों के लिए किसी भी बूस्ट टॉनिक से कम नहीं है और टेट सुपोर्टरों के लिए उलटी गिनती का आरंभ है
ये पूरी कोर्ट द्वारा ऑब्जरवेशन संक्षेप में है पूरी ऑब्जरवेशन संभव नहीं है।
धन्यवाद

ओम नारायण तिवारी
उच्च प्राथमिक शिक्षक संघ उत्तर प्रदेश

जय Jrt