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Monday 31 October 2016

पे बैंड और ग्रेड पे के अनुसार अब【7th वेतन आयोग के अनुसार】 यह होगा संभावित न्यूनतम वेतन


पे बैंड और ग्रेड पे के अनुसार अब【7th वेतन आयोग के अनुसार】 यह होगा संभावित न्यूनतम वेतन

पेड बैंड एक : 5200-20200

ग्रेड पे नई बेसिक पे नया न्यूनतम वेतन

1650 तक 6580 16900

1800 7000 18000

1900 7730 19900

2000 8460 21700

2400 9910 25500

2800 11360 29200

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पे बैंड दो : 9300-34800

ग्रेड पे नई बेसिक पे नया न्यूनतम वेतन

3200 12500 32100

3600 12900 33200

4000 13300 34200

4200 13500 35400

4600 17140 44900

4800 18150 47600

5400 20280 53100

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पे बैंड तीन : 15600-39100

ग्रेड पे नई बेसिक पे नया न्यूनतम वेतन

6000 24600 65700

6400 25000 66800

6600 25350 67700

7600 29500 78800

8000 33110 88400

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पे बैंड चार : 37400-67000

ग्रेड पे नई बेसिक पे नया न्यूनतम वेतन

8700 46100 118500

8800 46200 118700

8900 46300 123600

9500 46900 125200

9800 47200 126000

10000 47400 128900

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एचएजी स्केल : 67000-79000

ग्रेड पे नई बेसिक पे नया न्यूनतम वेतन

--- 67000 182200

Sunday 30 October 2016

Happy Dipawali

दीपोत्सव की हार्दिक बधाइयाँ

Wednesday 26 October 2016

वित्‍त एवं लेखा सेवा के 5 अधिकारियों का स्‍थानान्‍तरण

वित्‍त एवं लेखा सेवा के 5 अधिकारियों का स्‍थानान्‍तरण, अजीत कुमार सिंह वित्त एवं लेखाधिकारी बेसिक शिक्षा जनपद एटा से वित्त एवं लेखाधिकारी बेसिक शिक्षा जनपद फ़र्रुखाबाद के पद पर स्थानान्तरित : आदेश देखें

दीपावली से पहले पेंशन के भुगतान के सम्बन्ध में आदेश जारी

वित्त विभाग
वित्त (लेखा) अनुभाग-1
13/2016/ए-1-859/दस-2016
26/10/2016
निर्देश दिनांक 01 नवम्बर, 2016 को सार्वजनिक अवकाश होने तथा दिनांक 30/31 अक्टूबर, 2016 को दीपावली का त्योहार होने के फलस्वरूप राज्य सरकार के समस्त कार्मिकों एवं पेंशनरों/पारिवारिक पेंशनरों को माह अक्टूबर, 2016 का वेतन/पेंशन/पारिवारिक पेंशन का भुगतान दिनांक 27 अक्टूबर, 2016 को किया जाना।
शासनादेश जारी

बोनस देने के सम्बन्ध में राज्य सरकार का आदेश।

बोनस देने के सम्बन्ध में राज्य सरकार का आदेश।

BLO को नहीं मिलेगा प्रतिकर अवकाश, सहारनपुर BSA ने रद्द किया अपना आदेश

*BLO को नहीं मिलेगा प्रतिकर अवकाश।*
*सहारनपुर BSA ने रद्द किया अपना  आदेश*

बदलेगी आठवीं तक फेल नहीं करने की नीति

बदलेगी आठवीं तक फेल नहीं करने की नीति

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली : छात्रों को आठवीं तक अनिवार्य रूप से पास करने की नीति को समाप्त करने पर सहमति बन गई है। केंद्र और राज्यों के शिक्षा मंत्रियों की बैठक में तय हुआ है कि अब यह अधिकार राज्यों को दिया जाएगा कि वे पांचवीं और आठवीं में परीक्षा पास करने को अनिवार्य करते हैं या नहीं। जरूरत समझने पर वे अपने यहां इन क्लास के लिए बोर्ड परीक्षा भी आयोजित कर सकेंगे।
केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (केब) की मंगलवार को हुई बैठक में यह तय किया गया कि केंद्र सरकार शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून में संशोधन करेगा। इसमें यह प्रावधान किया जाएगा कि राज्य अपने यहां आठवीं तक फेल नहीं करने के नियम की समीक्षा करने को स्वतंत्र होंगे। यानी जो राज्य चाहेंगे, वे इस नीति को हटा सकते हैं। दो राज्यों को छोड़ कर देश के सभी राज्य इस नीति को बदलने की मांग कर चुके हैं।
यानी, जाहिर है कि अब केंद्र सरकार को जल्दी ही आरटीई में संशोधन करना होगा और उसके बाद राज्य अपने यहां इस प्रावधान को हटा देंगे। इसके बाद राज्य पांचवीं और आठवीं के लिए राज्य स्तरीय बोर्ड परीक्षा भी आयोजित कर सकेंगे। दसवीं बोर्ड को फिर से अनिवार्य करने को लेकर हालांकि कोई सहमति नहीं बन सकी।

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हर भर्ती में फर्जीवाड़ा, सरकार मेरिट से चयन पर अड़ी


हर भर्ती में फर्जीवाड़ा, सरकार मेरिट से चयन पर अड़ी

अमर उजाला ब्यूरो, इलाहाबाद
Updated Wed, 26 Oct 2016 02:29 AM IST
शिक्षक भर्ती, बीटीसी प्रवेश सहित प्रदेश सरकार की ओर से होने वाली विभिन्न भर्तियों में मेरिट से चयन के कारण लगातार फर्जीवाड़ा बढ़ रहा है। बीटीसी प्रवेश के बाद जांच के दौरान पता चला है कि अभ्यर्थी ने हाईस्कूल से लेकर स्नातक तक की परीक्षाओं के फर्जी प्रमाण पत्र तैयार करा लिए हैं। यही हाल शिक्षक भर्ती का भी है। व्यवस्था से जुड़े शिक्षाधिकारियों ने सरकार से मेरिट की जगह परीक्षा कराने की मांग की है।
लोक सेवा आयोग, उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग, उत्तर प्रदेश अधीनस्थ चयन सेवा आयोग, उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की ओर से होने वाली भर्ती में मेरिट को महत्व दिए जाने से जमकर फर्जीवाड़ा हो रहा है। मेरिट से चयन केसमय अभ्यर्थी फर्जी अंकपत्र तैयार करके चयन तो पा लेते हैं, परंतु जांच के दौरान फर्जीवाड़ा पकड़ में आने के बाद बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है। हाल ही में एलटी ग्रेड शिक्षकों की भर्ती में इसी प्रकार का फर्जीवाड़ा पकड़ा गया है।
माध्यमिक एवं बेसिक शिक्षा से जुड़े शिक्षाधिकारियों ने प्रदेश सरकार की ओर से होने वाली भर्तियों के लिए मेरिट की बजाय परीक्षा से चयन कराने की मांग की है। उनका कहना है कि परीक्षा कराने की स्थिति में एक बार चयन के बाद उसे निरस्त नहीं करना पड़ेगा। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की ओर से भरे जाने वाले सैकड़ों पद ऐसे हैं, जिनका चयन सीधी भर्ती से होता है। इसमें चयन प्रक्रिया मेरिट से होती है। मेरिट से चयन की स्थिति में अभ्यर्थी शिक्षा माफियाओं की मदद से अच्छी मेरिट वाली मार्कसीट तैयार करवाकर चयन प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं।
प्रमाण पत्रों की जांच में फर्जीवाड़ा पकड़ में आने के बाद चयनित अभ्यर्थी नौकरी छोड़कर भाग जाते हैं। प्राथमिकी दर्ज करवाए जाने के बाद जांच शुरू होती है और मामला दब जाता है। ऐसे में योग्य अभ्यर्थियों का हक मारा जाता है। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड एवं उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग से चयन के दौरान एकेडमिक मेरिट देखी जाती है। ऐसे में अभ्यर्थी बिना परीक्षा के फर्जी अंकपत्र तैयार करवाकर नौकरी हासिल कर लेते हैं। यही हाल एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती में सामने आया है। इस भर्ती में बड़े पैमाने पर अनियमितता सामने आई है, इसमें कई अभ्यर्थी आवेदन और काउंसलिंग के समय अलग-अलग बोर्ड के प्रमाण पत्र पकड़ में आए हैं। इसी प्रकार बीटीसी प्रवेश में भी फर्जीवाड़ा पकड़ में आया है।
जहां पकड़ा गया फर्जीवाड़ा
- एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती में बोर्ड के जरिए हाईस्कूल, इंटरमीडिएट सहित बीएड की डिग्री फर्जी मिली।
- बीटीसी प्रवेश में हाईस्कूल, इंटरमीडिएट एवं स्नातक के फर्जी प्रमाण पत्र लगाए।
- उत्तर प्रदेश अधीनस्थ चयन सेवा आयोग से जुड़ी सीधी भर्ती में भी मेरिट देखी जाती है।
- उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड, उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग एवं लोक सेवा आयोग से जुड़ी सीध भर्ती में मेरिट की महत्वपूर्ण भूमिका है।

*हर भर्ती में फर्जीवाड़ा, सरकार मेरिट से चयन पर अड़ी*


हर भर्ती में फर्जीवाड़ा, सरकार मेरिट से चयन पर अड़ी

अमर उजाला ब्यूरो, इलाहाबाद
Updated Wed, 26 Oct 2016 02:29 AM IST
शिक्षक भर्ती, बीटीसी प्रवेश सहित प्रदेश सरकार की ओर से होने वाली विभिन्न भर्तियों में मेरिट से चयन के कारण लगातार फर्जीवाड़ा बढ़ रहा है। बीटीसी प्रवेश के बाद जांच के दौरान पता चला है कि अभ्यर्थी ने हाईस्कूल से लेकर स्नातक तक की परीक्षाओं के फर्जी प्रमाण पत्र तैयार करा लिए हैं। यही हाल शिक्षक भर्ती का भी है। व्यवस्था से जुड़े शिक्षाधिकारियों ने सरकार से मेरिट की जगह परीक्षा कराने की मांग की है।
लोक सेवा आयोग, उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग, उत्तर प्रदेश अधीनस्थ चयन सेवा आयोग, उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की ओर से होने वाली भर्ती में मेरिट को महत्व दिए जाने से जमकर फर्जीवाड़ा हो रहा है। मेरिट से चयन केसमय अभ्यर्थी फर्जी अंकपत्र तैयार करके चयन तो पा लेते हैं, परंतु जांच के दौरान फर्जीवाड़ा पकड़ में आने के बाद बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है। हाल ही में एलटी ग्रेड शिक्षकों की भर्ती में इसी प्रकार का फर्जीवाड़ा पकड़ा गया है।
माध्यमिक एवं बेसिक शिक्षा से जुड़े शिक्षाधिकारियों ने प्रदेश सरकार की ओर से होने वाली भर्तियों के लिए मेरिट की बजाय परीक्षा से चयन कराने की मांग की है। उनका कहना है कि परीक्षा कराने की स्थिति में एक बार चयन के बाद उसे निरस्त नहीं करना पड़ेगा। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की ओर से भरे जाने वाले सैकड़ों पद ऐसे हैं, जिनका चयन सीधी भर्ती से होता है। इसमें चयन प्रक्रिया मेरिट से होती है। मेरिट से चयन की स्थिति में अभ्यर्थी शिक्षा माफियाओं की मदद से अच्छी मेरिट वाली मार्कसीट तैयार करवाकर चयन प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं।
प्रमाण पत्रों की जांच में फर्जीवाड़ा पकड़ में आने के बाद चयनित अभ्यर्थी नौकरी छोड़कर भाग जाते हैं। प्राथमिकी दर्ज करवाए जाने के बाद जांच शुरू होती है और मामला दब जाता है। ऐसे में योग्य अभ्यर्थियों का हक मारा जाता है। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड एवं उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग से चयन के दौरान एकेडमिक मेरिट देखी जाती है। ऐसे में अभ्यर्थी बिना परीक्षा के फर्जी अंकपत्र तैयार करवाकर नौकरी हासिल कर लेते हैं। यही हाल एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती में सामने आया है। इस भर्ती में बड़े पैमाने पर अनियमितता सामने आई है, इसमें कई अभ्यर्थी आवेदन और काउंसलिंग के समय अलग-अलग बोर्ड के प्रमाण पत्र पकड़ में आए हैं। इसी प्रकार बीटीसी प्रवेश में भी फर्जीवाड़ा पकड़ में आया है।
जहां पकड़ा गया फर्जीवाड़ा
- एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती में बोर्ड के जरिए हाईस्कूल, इंटरमीडिएट सहित बीएड की डिग्री फर्जी मिली।
- बीटीसी प्रवेश में हाईस्कूल, इंटरमीडिएट एवं स्नातक के फर्जी प्रमाण पत्र लगाए।
- उत्तर प्रदेश अधीनस्थ चयन सेवा आयोग से जुड़ी सीधी भर्ती में भी मेरिट देखी जाती है।
- उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड, उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग एवं लोक सेवा आयोग से जुड़ी सीध भर्ती में मेरिट की महत्वपूर्ण भूमिका है।

छात्रों के आंदोलन में अभिभावक होंगे शामिल

छात्रों के आंदोलन में अभिभावक होंगे शामिल

अमर उजाला ब्यूरो, इलाहाबाद
Updated Wed, 26 Oct 2016 02:29 AM IST
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की भर्तियों की जांच तथा 12 सूत्रीय अन्य मांग को लेकर शुरू प्रतियोगियों के आंदोलन में अभिभावक भी शामिल होंगे। प्रतियोगियों की अपील पर अभिभावक दिवाली के दिन राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल और मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखेंगे। इस अभियान को सफल बनाने के लिए प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के बैनर तले छात्रों ने छात्रावासाें तथा डेलीगेसी में जनसंपर्क भी किया।
आयोग की भर्तियों की सीबीआई जांच, सिविल सेवा की तर्ज पर पीसीएस मुख्य परीक्षा कराने समेत विभिन्न मांगों को लेकर प्रतियोगी एक बार फिर आंदोलनरत हैं। उन्होंने सोमवार को आयोग में ज्ञापन सौंपा। इसी क्रम में समिति की बैठक में अभिभावकों को भी इस आंदोलन में शामिल करने का निर्णय लिया गया। इसके तहत समिति के सदस्यों ने छात्रावासों और डेलीगेसी में जाकर छात्रों से कहा कि दिवाली पर घर जाकर वे अभिभावकों से आयोग की भर्तियों में व्याप्त अनियमितता पर विस्तार से चर्चा और पत्र लिखने की अपील करें। दिवाली के दिन पत्र लिखने का निर्णय लिया गया है। जनसंपर्क करने वालों में अवनीश पांडेय, गिरिजेश सिंह, प्रशांत पांडेय, नवीन तिवारी, रजवंत सिंह, सावन दुबे, फणीस पांडेय आदि शामिल रहे।
इलाहाबाद। उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग में सदस्यों की नियुक्ति करने के साथ असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाने की मांग को लेकर प्रतियोगियों का क्रमिक अनशन मंगलवार को दूसरे दिन भी जारी रहा। उनका कहना था कि कोरम पूरा नहीं होने की वजह से असिस्टेंट प्रोफेसर के 1652 पदों के लिए साक्षात्कार की प्रक्रिया धीमी है तो एक अन्य भर्ती की परीक्षा तिथि घोषित नहीं हो पा रही। इससे हजारों अभ्यर्थियों का भविष्य अधर में है। उनका कहना था कि यदि मांग पूरी नहीं हुई तो तेज आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।                             

विवि में शिक्षक भर्ती के विज्ञापन होंगे वापस

विवि में शिक्षक भर्ती के विज्ञापन होंगे वापस

अमर उजाला ब्यूरो, इलाहाबाद
Updated Wed, 26 Oct 2016 02:30 AM IST
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में शिक्षक भर्ती के लिए फरवरी और जून में जारी दोनों विज्ञापन वापस होंगे। हाईकोर्ट में मामला जाने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से गठित कमेटी ने इसकी संस्तुति की है। हालांकि इस पर अंतिम फैसला कार्यपरिषद को लेना है। कमेटी ने यूजीसी की नियमावली-2016 के अनुसार स्क्रीनिंग के मानक में संशोधन करने की भी संस्तुति की है। इसके अनुसार निर्धारित छह शर्तें पूरा करने वाले पीएचडी अभ्यर्थियों को भी आवेदन का मौका मिलेगा।
कमेटी ने रोस्टर का पालन सुनिश्चित करने के लिए कहा है। नया नोटिफिकेशन पुराने विज्ञापन के परिपेक्ष्य में ही होगा। ऐसे में पुराने अभ्यर्थियों को नए सिरे से आवेदन नहीं करना होगा लेकिन वे फार्म को अपडेट कर सकेंगे। गौर करने वाली बात यह है कि कमेटी की रिपोर्ट कार्यपरिषद में रखी जाएगी। उसमें हुए फैसले के अनुसार ही शिक्षक भर्ती की आगे की प्रक्रिया शुरू हो पाएगी। ऐसे में विश्वविद्यालय में अध्यापकों की जल्द नियुक्ति की उम्मीद खत्म हो गई है।
विश्वविद्यालय ने फरवरी में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के 290 पदों के लिए आवेदन मांगे थे। इसी क्रम में जून में बैकलॉग के पदों के लिए आवेदन मांगे गए थे। प्रतियोगियों ने रोस्टर का पालन न होने, दिव्यांग के पद का विवरण न होने, स्क्रीनिंग के मानकों में मनमानी समेत कई आरोप लगाए थे। अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में भी याचिका दाखिल कर रखी थी। इस पर विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से गठित रिव्यू कमेटी ने रिपोर्ट सौंप दी है।
इसे कार्यपरिषद में रखा जाएगा। कार्यपरिषद में हुए निर्णय के अनुसार शिक्षक भर्ती के लिए नए सिरे से प्रक्रिया शुरू हो पाएगी। रजिस्ट्रार प्रोफेसर एनके शुक्ला का कहना है कि कमेटी की संस्तुति के अनुसार विज्ञापन में संशोधन किया जाएगा। इसके लिए जरूरी प्रक्रिया एक महीने के भीतर पूरी कर ली जाएगी।
यह है संस्तुति
0 साक्षात्कार के लिए आवेदन पत्रों की छंटनी यूजीसी की नियमावली-2016 के अनुसार की जाए
0 2012 में तैयार रोस्टर के अनुसार पदों की स्थिति तय की जाए
0 रोस्टर में दिव्यांग अभ्यर्थियों का स्थान सुनिश्चित किया जाए
0 यूजीसी की नई नियमावली की शर्त पूरी करने वाले नॉन नेट पीएचडी अभ्यर्थियों को मिलेगा आवेदन का मौका
0 पुरानी भर्ती के परिपेक्ष्य में होगा नया नोटिफिकेशन
ये हैं आरोप
0 आवेदन पत्रों की स्क्रीनिंग में नियमों का नहीं हुआ पालन
0 2012 और नए विज्ञापन में आरक्षित पदों के पोजिशन में है भिन्नता
0 दिव्यांग अभ्यर्थियों के पोजिशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट के नियमों का नहीं किया पालन
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रतनलाल हांगलू को एक और झटका लगा है। अध्यापकों की भर्ती विश्वविद्यालय प्रशासन के लिए वर्षों से चुनौती बनी हुई है। पूर्व कुलपति प्रोफेसर आरजी हर्षे और प्रोफेसर एके सिंह के समय में भी शिक्षक भर्ती के लिए नोटिफिकेशन हुआ था लेकिन प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई। इस तरह से वर्षों से विश्वविद्यालय में अध्यापकाें की भर्ती नहीं हो पाई है और वर्तमान में 537 पद खाली हैं।
नए कुलपति ने भी नोटिफिकेशन कर साल भर के भीतर नियुक्ति कर लेने के साथ भर्ती प्रक्रिया में नियमों का पालन तथा पारदर्शिता का दावा किया था लेकिन इसमें भी आपत्तियां हुईं। इस बाबत विश्वविद्यालय प्रशासन को न सिर्फ रिव्यू कमेटी गठित करनी पड़ी, बल्कि कमेटी ने अभ्यर्थियों की आपत्तियों के मद्देनजर नोटिफिकेशन में व्यापक संशोधन की भी संस्तुति की है। इससे पहले ऑनलाइन प्रवेश परीक्षा, छात्रों का निष्कासन, सत्र लाभ आदि फैसलों पर भी विश्वविद्यालय प्रशासन को बैकफुट पर आना पड़ा था।
शिक्षक भर्ती के विज्ञापन के साथ ही विवाद शुरू हो गया था। इससे बने दबाव के बाद फरवरी में 290 तथा जून में बैकलॉग के पदों के लिए विज्ञापन निकालने वाले प्रोफेसर रामेंद्र कुमार सिंह को फैकेल्टी रिक्रूटमेंट एंड डेवलपमेंट कमेटी (एफआरडीसी) के निदेशक के पद से हटा दिया गया था। उन पर ठीक से काम नहीं करने का आरोप था।
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मानदेय बढ़ाने की मांग को लेकर 5 रसोइयों ने लगाई नदी में छलांग

मानदेय बढ़ाने की मांग को लेकर 5 रसोइयों ने लगाई नदी में छलांग

लखनऊ, हिन्दुस्तान टीम
Updated: 25-10-16 10:07 PM
मानदेय प्रतिमाह दस हजार रुपए दिए जाने समेत आठ सूत्री मांग को लेकर संघर्षरत रसोइयों का मंगलवार को सब्र का बांध टूट गया। सुबह करीब 12 बजे पांच रसोइयों ने गोमती नदी में छलांग लगा दी। छलांग लगाने वालों में शामिल राखी, सीमा और कविता को जैसे ही पुलिस गोताखोरों ने नदी से बाहर निकाला, वे बेहोश हो गईं। इसके बाद उन्हें एम्बुलेंस से सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां उनका इलाज जारी है।
इसी दौरान धरनास्थल के बाहर सड़क जाम कर रही कुछ रसोइयों पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। जिसमें कई चोटिल हो गईं। इतने पर भी उनका गुस्सा नहीं थमा। दोपहर में सभी ने विधानभवन का घेराव कर प्रदर्शन शुरू कर दिया। करीब दो घंटे चले प्रदर्शन को पुलिस अधिकारियों से मिले आश्वासन के बाद समाप्त कर रसोइयां वापस लक्ष्मण मेला मैदान लौट गईं।
आधे घंटे बाद पहुंची एम्बुलेंस
नदी से बाहर निकाली गईं राखी, सीमा और कविता किनारे पर ही करीब आधे घंटे तक बोहोश पड़ी रहीं। उनकी हालत देख बाकी रसोइये पुलिस प्रशासन से उन्हें अस्पताल पहुंचाने की मांग करने लगे। एम्बुलेंस की व्यवस्था न होता देख रसोइयों ने खुद ही तीनों को अस्पताल पहुंचाने का निर्णय लिया। जैसे ही उन्हें लाद-फांद कर सड़क पर पहुंची पुलिस ने एक बार फिर उन्हें रोक लिया। दोनों पक्षों में जमकर तीखी-नोकझोंक हुई। इतने में एम्बुलेंस बुलाई गई और सभी को सिविल अस्पताल पहुंचाया गया।
प्रदर्शनकारियों पर चलाई लाठियां
एक ओर जहां छलांग लगाने वाली रसोइयों को अस्पताल पहुंचाने की मांग उठ रही थी, वहीं दूसरी ओर कुछ प्रदर्शनकारी पीछे के रास्ते से निकल कर सड़क पर पहुंच गईं। उन्होंने पुल से आने-जाने वाले वाहनों को रोक दिया और प्रदर्शन करने लगी। मौके पर पहुंची महिला पुलिस कर्मियों ने उन्हें रास्ते से हटाने की कोशिश की, पर वह नहीं मानीं। लिहाजा पुलिसकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज कर दिया, जिसमें कई को चोटें आ गईं।
विधानभवन पर भी हुई झड़प
मांगों के संबंध में सीएम से वार्ता करने पर अड़ी रसोइयों ने दोपहर बाद विधानभवन का घेराव कर दिया। प्रदर्शन के दौरान इन लोगों ने सड़क जाम करने की कोशिश की। मगर पुलिस ने उन्हें एक किनारे कर दिया। करीब दो घंटे तक प्रदर्शन चलता रहा। आखिर में पुलिस ने जोर जबरदस्ती का रास्ता अख्तियार किया। दोनों पक्षों में जमकर धक्का मुक्की हुई। महिला पुलिस ने कई रसोइयों को घसीट कर विधानभवन के सामने से हटाने का प्रयास भी किया। बावजूद इसके वह डटी रहीं। आखिर में पुलिस अधिकारियों द्वारा समझाने पर सभी धरनास्थल लौट गईं।
बड़े आंदोलन की दी धमकी
प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे राष्ट्रीय मध्यान्ह भोजन रसोइयां एकता संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष राज कटारिया ने प्रदेश सरकार को चेतावनी दी कि यदि मांग जल्द नहीं मानी गई तो इससे भी उग्र आंदोलन होगा। उन्होंने हर वर्ष होने वाली चयन प्रक्रिया को समाप्त कर रसोइयों को नियमित किए जाने की मांग उठाई। प्रदेश अध्यक्ष काजल कटारिया ने रसोइयों के बच्चों को उसी विद्यालय में पढ़ने की अनिवार्यता (पाल्य व्यवस्था) समाप्त करने व मानदेय का भुगतान सीधे रसोइयों के खाते में किए जाने की मांग की।

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बदलेगी आठवीं तक फेल नहीं करने की नीति

बदलेगी आठवीं तक फेल नहीं करने की नीति

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली : छात्रों को आठवीं तक अनिवार्य रूप से पास करने की नीति को समाप्त करने पर सहमति बन गई है। केंद्र और राज्यों के शिक्षा मंत्रियों की बैठक में तय हुआ है कि अब यह अधिकार राज्यों को दिया जाएगा कि वे पांचवीं और आठवीं में परीक्षा पास करने को अनिवार्य करते हैं या नहीं। जरूरत समझने पर वे अपने यहां इन क्लास के लिए बोर्ड परीक्षा भी आयोजित कर सकेंगे।
केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (केब) की मंगलवार को हुई बैठक में यह तय किया गया कि केंद्र सरकार शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून में संशोधन करेगा। इसमें यह प्रावधान किया जाएगा कि राज्य अपने यहां आठवीं तक फेल नहीं करने के नियम की समीक्षा करने को स्वतंत्र होंगे। यानी जो राज्य चाहेंगे, वे इस नीति को हटा सकते हैं। दो राज्यों को छोड़ कर देश के सभी राज्य इस नीति को बदलने की मांग कर चुके हैं।
यानी, जाहिर है कि अब केंद्र सरकार को जल्दी ही आरटीई में संशोधन करना होगा और उसके बाद राज्य अपने यहां इस प्रावधान को हटा देंगे। इसके बाद राज्य पांचवीं और आठवीं के लिए राज्य स्तरीय बोर्ड परीक्षा भी आयोजित कर सकेंगे। दसवीं बोर्ड को फिर से अनिवार्य करने को लेकर हालांकि कोई सहमति नहीं बन सकी।

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