Welcome to BASIC KA TEACHER.COM

Translate

Tuesday 12 June 2018

Appearing Judgment Analysis] टेट को प्रशिक्षण योग्यता से पहले पास करने वालो को नौकरी से निकालने वाले आदेश का विश्लेषण

Appearing Judgment Analysis] टेट को प्रशिक्षण योग्यता से पहले पास करने वालो को नौकरी से निकालने वाले आदेश का विश्लेषण

.
1) यह निर्णय Division Bench से 29334 के सम्बंध में आया है जिसमें BSA को निर्देशित किया गया है कि वे 29334 में चयनित ऐसे लोगो की पहचान करें जिनका BTC, B.Ed. का Result उनके द्वारा भर्ती में लगाये गए टेट रिजल्ट के बाद में आया हो तथा उनकी सफाई सुनने का एक अवसर देकर उन्हें नौकरी से निकाल दें। (SPLA 506/18) यानी 30.05.2018 के बाद से उन सभी के टेट इनवैलिड हो गए हैं जिनका बीएड बीटीसी का रिजल्ट टेट के रिजल्ट के बाद आया हो।
.
.
*2) किसी अन्य भर्ती को लेकर यह निर्णय नहीं है लेकिन इस बात की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि BSA 72825 समेत उसके बाद होने वाली सभी भर्तियो को भी कसौटी पर घिस सकते हैं और इस सम्बंध में परिषद द्वारा निर्देश आ सकते हैं।*
.
.
3) इस निर्णय के आने के पीछे 2 फैक्टर्स हैं-
.
● Statuory Provision - NCTE सर्कुलर 11.02.2011 का क्लॉज़ 5(i) और (ii) + शासनादेश 15.05.2013
.
● विभिन्न याचिकाएं - 26660/2013, 27036/2016, 52021/2017,
.
.
*4) इसके अलावा जो इंपोर्टेन्ट रोल प्ले करता है वो है डॉक्ट्रिन ऑफ purposive interpretation और literal interpretation.*
.
.
5) अभी तक 4 जजेस ए पी शाही, अश्वनी मिश्रा, दिलीप गुप्ता और जयंत बनर्जी purposive interpretation के साथ गए हैं न कि literal इंटरप्रिटेशन के और अब गेंद सुप्रीम कोर्ट के पाले में जाएगी।
.
.
*6) RTE एक्ट 2009 के द्वारा केंद सरकार ने NCTE को अकेडमिक अथॉरिटी बनाया जो 8 से 14 वर्ष के स्टूडेंट्स को पढ़ाने के लिए सहायक अध्यापकों की मिनिमम योग्यता तय करेगी।*
.
.
7) NCTE ने 23.08.2010 को नोटिफिकेशन जारी करके न्यूनतम अकेडमिक योग्यता तय कर दी जिसमें टेट क्वालीफाई कम्पलसरी था।
.
.
*8) टेट के लिए NCTE ने 11.02.2011 को एक सर्कुलर जारी किया जिसमें क्लॉज़ 5(ii) में कहा गया कि वो व्यक्ति भी टेट में बैठने के लिए योग्य होंगे जो 23.08.2010 के नोटिफकेशन में उल्लिखित NCTE या RCI से मान्यता प्राप्त किसी अध्यापक शिक्षण कोर्स 'pursue' कर रहे हों यानी अध्यन्नरत हों।*
.
.
9) यानी टेट में बैठने के लिए बीएड बीटीसी डीएड आदि पास होना ही कंपल्सरी नहीं है बल्कि उन कोर्स में पढ़ रहे भी इस क्लॉज़ 5(ii) अनुसार योग्य है।
.
.
*10) इस क्लॉज़ में यह स्पष्ट नहीं किया गया कि क्या फर्स्ट ईयर में पढ़ने वाले या यूं कहें कि जो अंतिम सेमेस्टर में नहीं है या अंतिम वर्ष में नहीं है वो टेट में appear हो सकते हैं या नहीं।*
.
.
11) सरकार द्वारा 17.04.2013 को टेट के सम्बंध में गाइडलाइन्स जारी की गई थी जिसमें केवल प्रशिक्षण योग्यता उत्तीर्ण लोगो को ही टेट में बैठने की अनुमति थी।
.
.
*12) इस क्लॉज़ 5(ii) को ग्राउंड बनाकर इस GO को चैलेंज किया गया जिसमें 13.05.2013 को रिट याचिका - A 26660/2013 में कोर्ट ने कहा कि जब NCTE ने प्रावधान किया हुआ है तो आप क्यों नहीं कर रहे और फाइनल ईयर में पढ़ रहे तथा रिजल्ट का वेट कर रहे अभ्यर्थियों को भी शामिल करने का आदेश किया।*
.
.
13) सरकार ने दो दिन बाद ही 15.05.2013 को सुधार करते हुए नया GO जारी किया जिसमें बिंदु (क) और (ख) के द्वारा शिक्षण प्रशिक्षण परीक्षाओं में सम्मिलित हो रहे अभ्यर्थियों को भी टेट में बैठने के लिए allow कर दिया। साथ मे यह भी कहा कि टेट में बैठ तो जाओ और पास भी करलो लेकिन वैलिड तभी होगा जब बीटीसी बीएड आदि पास करलोगे।
.
.
*14) इसमें भी स्थिति को स्पष्ट नहीं किया गया। 29334 भर्ती को इसी ग्राउंड पर कुछ अभ्यर्थी कोर्ट ले गए जिसमें 08.05.2018 को हाई कोर्ट ने फर्स्ट ईयर या सेकंड सेमेस्टर पास न करने वालों को टेट मे बैठने से अयोग्य घोषित कर दिया है। (Writ- A 52021/17)*
.
.
15) सिंगल जज मिश्रा जी ने जो आलरेडी नियुक्त हो चुके हैं उनको सीधा सीधा बाहर करने का आदेश नहीं किया था बल्कि उनके लिए कोर्ट ने कहा था कि RTI एक्ट द्वारा ऐसे लोगो की जानकारी ली जा सकती है जो टेट में फर्स्ट ईयर को पास किये बिना बैठे हैं।
.
.
*16) और BSA को यदि ऐसे लोगो को नियुक्ति से हटाने को लेकर प्रत्यावेदन मिलते हैं तो 6 माह के अंदर उचित कार्यवाही की जाए यानी उनकी नियुक्ति निरस्त की जाए।*
.
.
17) इस निर्णय में भार याचियों पर डाल दिया गया कि वो पता लगाएं की टेट को फर्स्ट ईयर में रहते हुए किसने पास किया है और BSA को शिकायत करें तब जाकर कार्यवाही होगी। इसके विरुद्ध याची DB चले गए और कहा कि हमारे लिए यह सम्भव नहीं है यह कार्य BSA को करना चाहिए।
..
*18) खण्ड पीठ ने अपने 30.05.2018 के निर्णय में यह मांग मानली और बोल दिया कि यह काम BSA ही करेंगे न कि याची। अब तक तो सब ठीक था सिंगल जज के निर्णय के बाद फाइनल ईयर में टेट पास वाले जश्न मना रहे थे कि हम तो बच गए पर DB ने उनके जश्न को मातम में बदल दिया।*
.
.
19) DB ने एक कदम आगे बढ़ते हुए कहा कि ट्रेनिंग क्वालिफिकेशन जैसे बीएड BTC का फाइनल रिजल्ट टेट के रिजल्ट से पहले आजाना चाहिए तभी वैलिड माना जायेगा ये बिल्कुल unacceptable जजमेंट है और सुप्रीम कोर्ट में इस एक्सटेंट तक पलटना कन्फर्म्ड है।
.
.
*20) जैसा हमने पहले भी कहा कि ये आदेश क्लॉज़ 5(ii) को purposively इन्टरप्रेट करके किये गए हैं। इसमें 5(ii) को (i) के साथ रखकर पढ़ा गया है।*
.
.
21) 5(i) में कहा गया कि ट्रेनिंग में पास हुए लोग योग्य हैं दूसरे में कहा कि जो पढ़ रहे हैं वो भी योग्य हैं अब इसी दूसरे में pursuing शब्द को literally interpret किया जाता है तो training में एडमिशन का पहला दिन भी pursuing में आएगा।
.
.
*22) इंटेंशन NCTE का वही रहा होगा जो जज साहब कह रहे हैं लेकिन शब्दो के चयन को लेकर NCTE ने गलती करदी अब उस गलती का खामियाजा नियुक्त भुगतने के कगार पर हैं।*
.
.
23) कुछ केसेस में SC ने कहा है कि यह कोर्ट का काम नहीं है कि वह STATUTORY प्रोविशन की इंटेंशन को वहां इन्टरप्रेट करे जहां स्पेसिफक शब्द USE किये गए हों और जिनका स्पष्ट मतलब निकलता हो।
.
.
*24) वहीं कुछ केसेस में कहा है कि यदि कोई प्रोविशन केवल हड्डी हड्डी है तो उसपर मांस और स्किन चढ़ाने का कार्य कोर्ट कर सकती है।*
.
.
25) यही कोर्ट की पोलीवोकल नेचर है अब सुप्रीम कोर्ट में निम्न सम्भावनाएं हैं-
.
● *कोर्ट purposive इंटरप्रिटेशन के साथ जाते हुए DB के ऑर्डर को हल्का सा मॉडिफाई करके उपहेल्ड करे। मॉडिफाई बस वहां होगा जहां उन्होंने कहा है कि टेट के रिजल्ट से पहले BTC बीएड का रिजल्ट आ जाना चाहिए और कहदें कि जिनका फर्स्ट ईयर पास किये बिना टेट है उनको निकालो बाहर।*
.
● कोर्ट literally interpret करे और बोले कि हम पालिसी मेकर नहीं है यदि NCTE PURSUING को टेट में बैठा रही है तो हम कुछ नहीं कर सकते जब NCTE PURSUING कह रही है तो आप लोग क्यों फाइनल और फर्स्ट के चक्कर मे फंसे हो। इस तरह सबको यहां तक कि फर्स्ट सेम में भी टेट पास करने वालो को बचा ले।
.
● *कोर्ट purposively जाए लेकिन कहे कि 23.08.2010 के नोटिफिकेशन के हिसाब से ये टेट पास कर चुके हैं और trained भी हैं तथा काफी समय से अच्छी सर्विस दे रहे हैं तो कोर्ट इन्हें डिस्टर्ब नहीं कर रही है लेकिन NCTE को निर्देश देती है कि वे इस 5(ii) को redefine करके संशोधित करे ताकि भविष्य में ऐसी गलती न हो।*
.
.
26) अब कोर्ट किस रूख के साथ जाती है यह कोई नहीं बता सकता हालांकि याची और प्रतिवादी अपनी अपनी जीत के दावे करेंगे ही जीतेगा कौन ये कोर्ट decide करेगी क्योंकि यह यहां से अब डिस्क्रेशनरी मेटर बन चुका है और किस बेंच में जाता है इस पर निर्भर करेगा क्योंकि ऐसे मामलों में जजेस का सोचने का नजरिया अलग अलग होता है।

(सोशल मीडिया से साभार)

No comments:

Post a Comment